ममता
अभिलाषा कक्कड़ पंडित बृजमोहन जैसे ही नहा कर आये तो स्वयं बहुत ही को असहज सा महसूस करने लगे। पत्नी मंगला ने पूछा कि क्या हुआ तो कहने लगे...
ममता
चैन से जीने दो
मोहन का पेपर
कागज की नाव
प्यार जितना पुराना। उतना ही सुहाना है।
बहु भी बेटी
वक्त का बदला
कोई है?
सच्चा उपहार
घर का भोजन
जलील
और क्या चाहिए?
बात जो भारी पड़ गई
ज़िंदगी अरमान बनके गुनगुनाई
सुखांत
कमज़ोर लइकी
इम्तहान
भगवान् की लाठी
परीक्षा
अध्यापक