Rachnakunj .Jan 1, 202311 minएक लड़की पहेली सीटाइपिंग कोचिंग सेंटर में विजय का पहला दिन था। वह अपनी सीट पर बैठा टाइप सीखने के लिए नियमावली पुस्तिका पढ़ रहा था। तभी उसकी निगाह अपने...
Rachnakunj .Dec 30, 202210 minठिठकी हुई धूपवह बारजे पर आई तो उसकी नजर छज्जे पर ठिठक कर बैठे धूप के टुकड़े पर पड़ी। वह किसी भी पल फिसल जाने को आतुर था। ठीक उसके जीवन की खुशियों...
Rachnakunj .Dec 29, 20222 minपूर्णत्वशिवम् की शादी की उम्र बीती जा रही थी। मां उसे समझाती- "बेटे, स्त्री घर की ऊर्जा होती है। उसके बिना पुरुष के लिए अकेले जीवन बिताना बहुत ही...
Rachnakunj .Dec 27, 20227 minएक हमसफर ....प्रतापगढ़ से लालगंज का सफर बहुत कष्टदायक था। मेटाडोर यात्रियों से खचाखच भरी थी और तेज ठंड में भी उमस और उलझन महसूस हो रही थी। हर तरह की...
Rachnakunj .Dec 21, 20224 minरूसेड़ी बीनणीजब कभी कुछ भी न चल रहा होता है, तब बहुत कुछ मौन होकर घटा करता है। हर घटनाओं का अंत दुखांत हो यह जरूरी नहीं। अचानक आँख खुली...! अरे! रात...
Rachnakunj .Nov 1, 20225 minअंतिम बार"बाबू, ई प्योर शीशम के लकड़ी हौ।चमक नहीं देखत हौ, और हल्का कितना हौ लईकन सब पचासों साल बैठी तबो कुछ ना होई। "सीताराम बढ़ई की कही ये...