आपके लिए
समीक्षा सिंह मंजिल तक जो जाती ना हों उन राहों पर जाना क्या। अनजाने लोगों को जग में अपना दर्द सुनाना क्या। चाहे कुछ भी मिल न सके पर कोई...
आपके लिए
तृप्त हो जाती
अज्ञानी
कर्मों की दौलत
अपना देश
तिरंगा हम फहरायेंगे
नमन मां शारदे
मौत से ठन गई
बदरा कहां गए
मां तुम कितनी सुंदर हो।
इम्तिहान
Relationships
मैं मदिरालय हूं।
मोबाइल और बच्चे
आलात
लौट जाते हैं, अब
अपनों की यादें
चुभन
परिहास
मुस्कान