सबसे प्रेम किया
नवीन रांगियाल मैं उन सीढ़ियों से भी प्रेम करता हूँ जिन पर चलकर उससे मिलने जाया करता था और उस खिड़की से भी जिसके बाहर देखती थीं उसकी उदास...
सबसे प्रेम किया
मातृभाषा की मौत
स्त्री की हत्या
क्या कुछ बदला
संभावनाएँ
नर हो, न निराश करो मन को
एक व्यक्ति
यादों के झरोखे से…
जिंदगी
समर्पण
अपना बचपन
ख्वाब
किस घर की बेटी
इंकलाब लिखता हूँ।
वक़्त
बरस से बातें
REFUGEE
गहरी रात
पिता....
गीत नहीं गाता हूँ।