मेरी कलम से…
ममता सिन्हा मैं उतरन उतराई थी! पीड़ित मन सकुचाई थी!! लड़की आने से नाखुश, कुपित हमारी माई थी!! पढ़ मत ज्यादा कहती थी! डाँट डपटती रहती थी!!...
मेरी कलम से…
चाँदनी रात में…
मेरे नैना
खोजता हूँ
आलात
बीते वक्त की बहार
लौट जाते हैं, अब
सच्चा आईना
बरगद का पेड़
अपनों की यादें
चुभन
मन का मीत
परिहास
मुस्कान
अंतर्जातीय प्रेम विवाह
आत्महत्या
दिल की आवाज
खुदगर्ज़
इश्क
मेरी कोई जायदाद नहीं