तुम हो तो मैं हूँ
त्रिलोचन कौर बहुत बड़े घर की खिड़की के अन्दर से माथुर दम्पति की झाँकती दो जोड़ी उदास बूढ़ी आँखे, फोन पर आँखे टिकाये, बेटे विराज के...
तुम हो तो मैं हूँ
अनहोनी
नफ़रत
खाली कश्ती लाख थपेड़े
बराबरी
बड़े पापा
त्रिया चरित्र
गंगा स्नान
कश्ती में छेद
परमात्मा से मिलन
टोकरी
ताकत
कलमुंही
मुफ्त की रोटी
वृद्धाश्रम
नसीहत
पिता का सम्मान
अंधविश्वास
चूल्हे
बचपन ना छीने