हथौड़ी की कशमकश
कानपुर की तंग गलियों के बीच एक पुरानी ताले की दूकान थी। नागरिक वहां से ताला-चाबी खरीदते और कभी-कभी चाबी खोने पर डुप्लीकेट चाबी बनवाने भी...
हथौड़ी की कशमकश
केंचुआ
सच्ची पूजा
बटवारा
मेरा कवि मेरा कमाल
कवर
जाको राखे साइयां
झूठा दिखावा
पश्चाताप
प्रेमा दीदी
नकल का अंजाम
विदाई
फल
माँ का क़र्ज़
गाय का गोबर
ओजस्विनी
एक आंच की कसर
गरीब हैं, बेईमान नहीं
अनोखा रिश्ता
माँ का कटोरदान
मेरा गीत
झिझक
पतिव्रता
महापर्व छठ