मैं मदिरालय हूं।
डॉ. जहान सिंह ‘जहान’ “देश का देशी मदिरालय।” हताशा, निराशा, हर गम का औषधालय।। चिंता हरक, कष्ट निवारक, थके हुओं का विश्रामालय। टीन की चादर,...
मैं मदिरालय हूं।
सत्य की खोज
वो प्यार नहीं कर पाएंगे
पराई नहीं होती बेटी
चरित्रहीन
मोबाइल और बच्चे
अंतिम सीख
मेरी कलम से…
फैसला
चाँदनी रात में…
इज्जत
मेरे नैना
रिश्ता
खोजता हूँ
नानी का घर
आलात
आत्महित
नैराश्य लीला
बीते वक्त की बहार
मेरी ताकत
दंड का अधिकारी
लौट जाते हैं, अब
बैल की पूँछ
सच्चा आईना