नाग-पूजा
प्रात:काल था। आषढ़ का पहला दौंगड़ा निकल गया था। कीट-पतंग चारों तरफ रेंगते दिखायी देते थे। तिलोत्तमा ने वाटिका की ओर देखा तो वृक्ष और पौधे...
नाग-पूजा
शंखनाद
दुर्गा का मन्दिर
एक लड़की पहेली सी
बड़े घर की बेटी
आत्माराम
पंच परमेश्वर
ठिठकी हुई धूप
मुस्कान, एक नायाब तोहफा
और आँखें खुल गई
पूर्णत्व
हमसे आगे हम
सोलह श्रृंगार
कठिनाईयां
अपूरणीय क्षति
एक हमसफर ....
जो पास है वही खास है।
डर के आगे जीत है
बढ़ता फैशन, घटते संस्कार
आधुनिक सच
नाच न जाने आंगन टेढ़ा
"माँ की ममता"
मां तुम बहुत याद आती हो
नमक का दारोगा