सबसे प्रेम किया
मातृभाषा की मौत
स्त्री की हत्या
क्या कुछ बदला
संभावनाएँ
नर हो, न निराश करो मन को
एक व्यक्ति
यादों के झरोखे से…
जिंदगी
समर्पण
अपना बचपन
ख्वाब
किस घर की बेटी
इंकलाब लिखता हूँ।
वक़्त
बरस से बातें
REFUGEE
गहरी रात
पिता....
गीत नहीं गाता हूँ।
दुख
तलाक
नयी कोपल
ईश्वर के करम
जग का मेला
आओ फिर से दिया जलाएँ
कुछ सवाल
नीली चिड़िया
भ्रम
अहमक
ग़ज़ल
कर्म ही अपने
मेरी कलम से…
बीते वक्त की बहार
बरगद का पेड़
आत्महत्या
मेरी कोई जायदाद नहीं
मन बच्चा
आतप प्रताप
दिल की सुन
मेरे हमनशीं
खामोशी दे दी..
स्त्री
सेवानिवृत्त जिंदगी
मां
यादें
तुम हो किंचित निकट यहीं
WE & THEY
मौन अखरता है।
घर की याद
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