निरंजन धुलेकर
बॉडी एक्सपोज़र और अंग प्रदर्शन पर पिता पुत्री में बात चीत हो रही थी, विषय ज़रा सेंसिटिव था और पीढ़ियों का अंतर भी साफ़ दिखाई पड़ रहा था।
पिता बोले, "कृष्ण पनघट पर गोपियों के वस्त्र छुपा कर उन्हें तंग करते थे। उसमें यह गूढ़ रहस्य छुपा था कि हम स्वेच्छा से निवस्त्र भले ही हो जाएं पर जैसे ही हमें आभास होता है कि हमें कोई देख रहा है, हम खुद को ढाँकने के लिए परेशान हो उठते हैं। क्यूंकि यही सामाजिक, आत्मा व शरीर की मर्यादा है।"
बेटी ने कहा, "पर्दा तो पुरूष की नज़रों में होना चाहिए। हम क्यों अपना बदन ढाँकते फिरें।" पिता ने कोई जवाब नही दिया व ऑफिस चले गए और वहाँ से एक नया महँगा मोबाइल बेटी को भिजवा दिया।
घर लौट कर देखा कि बेटी ने मोबाइल पर स्क्रीन गार्ड और बढ़िया कवर भी चढ़ा लिया था जिसे वो बड़े शौक़ से पिता को दिखाने लगी।
तब पिता ने कहा, "ये स्क्रीन गार्ड और कवर तेरे मोबाइल को बाहरी चोटों से तो बचा लेंगे पर क्या ये फालतू के एप्स, वीडिओज़ और फोटोज से बचा पाएंगें, नहीं ना? उन्हें रोकने के लिए तुम्हें और मोबाइल दोनों को, अंदर से स्वच्छ और डिसिप्लिन में रहना पड़ेगा क्यूंकि इस दुनिया में नँगा करने वाले दुःशासन तो बहुत मिलेंगे पर कवर करने वाले कृष्ण मिलना असम्भव?"
पिता ने देखा बिटिया मोबाइल से कुछ डिलीट कर रही थी और वो गर्व से मुस्कुरा दिये।
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