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दुख

विपिन बंसल

सुख में न जीना आया !
दुख ने सिखाया जीना !!
दुख भला हो तेरा !
जो पत्थर बन गया हीरा !!
सुख में न जीना आया !
दुख ने सिखाया जीना !!
सुख में खुद को भी भुला !
दुख में जहॉं को पहचाना !!
सुख में इसां बन न पाया !
दुख में इसां मैं बन पाया !!
दुख भला हो तेरा !
जो छूटा आदम डेरा !!
सुख में न जीना आया !
दुख ने सिखाया जीना !!
दुख के गंगा जल से !
पाप धुल गए मेरे सारे !!
दुख की गंगा में डूबा चोला !
माया पर्दे हट गए सारे !!
दुख भला हो तेरा !
जो छूटा नौ महीनो का फेरा !!
सुख में न जीना आया !
दुख ने सिखाया जीना !!
जब से दुख तू जीवन में आया !
राम बस गए मेरे घट में !!
प्यार के ऐसे बंधन में जकड़ा !
अब सिया राम हैं मेरे वश में !!
दुख भला हो तेरा !
जो छूटा मोह का डेरा !!
सुख में न जीना आया !
दुख ने सिखाया जीना !!
मेरे मन को जिसने घेरा !
उसमें वासना का डेरा !!
मन हुआ मेरा खाली !
जब दुख ने दस्तक दे डाली !!
दुख भला हो तेरा !
जो निर्मल मन है मेरा !!
सुख में न जीना आया !
दुख ने सिखाया जीना !!
आनंद अब होगा सुख में !
जब दुख आँगन में आया !!
जीवन अब तुझको समझूंगा !
जब मौत से मिलके आया !!
दुख भला हो तेरा !
जो निगला मन का अधेंरा !!
सुख में न जीना आया !
दुख ने सिखाया जीना !!

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