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मां

आचार्य जहान


कभी ऐसा भी हो जाए।
मां का अपना घर
एक दिन को उसका मायका हो जाए।
वो भी रूठे, खेल-कूदे, और नाचे-गाये।
उसको भी कोई बच्चों सा दुलराये।।
बेटी-बेटा का उतरे कर्ज
घर आगन खुशियो से भर जाए।।
कभी एक दिन ऐसा भी हो जाए।
मां का घर एक दिन को उसका मायका हो जाए।।

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