अंशिता दुबे
मेरी अस्थियों को
विसर्जित मत करना
गंगा मैली हो जाएगी
मेरे समर्पण के स्वरूप को
मिटा नहीं पायेगी
मेरी संवेदनाओं को
मिला नहीं पायेगी
उस घाट पर शायद
तुम नहीं मिलोगे
मेरा भटकता वज़ूद
अकेला क्या करेगा
रहने देना मेरी अस्थियां
थोड़ा और इंतजार कर लुंगी
मैं लावारिस सी
क्योंकि मेरा प्रेम
तो पराकाष्ठा पार कर चुका होगा
आत्मा की शुद्धता में समाहित होगा
देख लेना मेरी अस्थियों में
इक तुम्हारा अक्स मिलेगा !
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