हमारा मन ही हमारा आईना है
जिसको देख कर भी हम हमेशा
अनदेखा कर देते हैं
वह मुझे हर वक्त कुछ ना कुछ
बताना चाहता है
सही और गलत दिखाना चाहता है
सच और झूठ अच्छा बुरा जो भी हो
वह हमें बताना चाहता है
पर हम मन की बातों को कहां सुनते है
मन की बातों को अनसुना कर
उसे तो बस नजर अंदाज करते जाते हैं
और बस करते हैं अपनी मनमानी
यह सोचते हुए हम जो कर रहे हैं
बस यही सही है
हमारे किए को कोई नहीं देख रहा
पर हम यह भूल जाते हैं
हमारा मन ही है जो हर पल
हमारे साथ होता है
अच्छे बुरे हर कर्मों को यह
हर पल देख रहा होता है
मन जिसके पास हमारे सारे
किए धरे का हिसाब होता है
क्योंकि यही तो ईश्वर का निवास होता है
इसलिए मन की आवाज को कभी
अनसुना ना करें
मन की आवाज अवश्य सुने
क्योंकि वह हर पल सही होता है
और यही सच है।
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