top of page

इश्क

सुमन मोहिनी


ये इश्क एक दरिया है,
इसमें जो डूब गया,
फिर वो तर नही पाया है।
इश्क एक आग भी है,
इसमें जो झुलस गया,
फिर वो बच नहीं पाया है।
है इश्क एक इबादत भी,
सजदे में सर इसके जिसने झुकाया है,
समझो उसने फिर जन्नत को पाया है।
इश्क है एक सुखद एहसास,
जिसने इश्क़ किया है,
वही समझ इसे पाया है।
इश्क एक प्रेरणा है,
कितने ही लोगों को तराश कर,
हीरा इसने बनाया है।
इश्क एक लगाव है,
एक दूसरे से इसने कितने ही,
प्रेमियों को मिलाया है।
इश्क एक बवंडर भी है,
तबाह इसने, कितनी ही
जिंदगियों को किया है।
इश्क एक वरदान भी है,
कितनी ही जिंदगियों को,
जीवन दान इसने दिया है।
इश्क एक अभिशाप भी है,
इसने बर्बाद भी कितनी ही,
जिंदगियों को किया है।
इश्क है एक मृगमरीचिका ,
जाने कितनों को इसने,
राह भटकाया है।
चाहे जैसा भी है ये इश्क़,
हर रंग रूप में भाया है,
इश्क ने गर रुलाया है,
तो इश्क़ ने ही हंसाया है,
गर इश्क सताता है,
तो मनाता भी है।
जीवन जीने का आधार ही,
सिर्फ और सिर्फ इश्क को
पाया है।
***
0 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page