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फर्ज

रश्मि प्रकाश

“भाभी-भाभी कहाँ हो आप, अरे जल्दी से बाहर आओ ना।” नैना अपनी भाभी राशि को इधर-उधर खोजते हुए बोले जा रही थी।
“क्या हुआ नैना आ रही हूँ, ब्याह का घर है ना बहुत काम होते हैं। अब यहाँ रहती हूँ तो सब कुछ देखना भी तो मुझे ही होगा।” कहती हुई राशि स्टोर में कुछ सामान खोजने में व्यस्त थी।
“ये क्या बात हुई भाभी, बड़ी भाभी के बेटे की शादी वो तो मजे से अपने कपड़ों की मैचिंग ज्वैलरी सेट करने में व्यस्त है। उसके बाद संगीत के लिए रिहर्सल भी कर रही है और एक आप बस काम काम काम।” नैना राशि का हाथ पकड़कर डाँस की प्रैक्टिस करवाने ले जाने लगी।
“नैना… बाद में कर लूँगी ना प्रैक्टिस पहले काम करने देती। माँ और भाभी फिर मुझसे ही सवाल करेगी।” राशि हाथ छुड़ाकर जाने की कोशिश करने लगी।
“बस भाभी जब से आप आई हो देख रही हूँ माँ और बड़ी भाभी दोनों आपके उपर काम की ज़िम्मेदारी सौंप कर मजे करने लगी। फिर बड़े भैया तबादले के बाद बाहर क्या गए बड़ी भाभी भी खुद को मेहमान समझने लगी है। थोड़ा काम उन्हें भी करने बोलों भाभी नहीं तो ज़िन्दगी भर काम ही करती रहोगी। ना कहना सीखो भाभी, वो कहते हैं ना सीधे का मुँह कुत्ता चाटे, सब आपसे फ़ायदा लेते रहेंगे पर आपको ना तो कोई समझेगा ना आपकी मदद करेगा।” नैना राशि का हाथ ज़बरदस्ती पकड़कर वहाँ ले गई जहाँ सब डाँस की प्रैक्टिस कर रहे थे।
“अरे राशि वो सब सामान स्टोर से निकाल दिया?” राशि को देखते ही उसकी जेठानी ने पूछा।
“वो ऽऽ वोऽऽऽ।” राशि कुछ कहती उससे पहले नैना ने कहा।
“बड़ी भाभी आपकी प्रैक्टिस तो हो गई है ना। आप देख लो सामान। अब आपके बेटे की शादी में इकलौती चाची का डाँस अच्छा नहीं होगा तो सब बुराई करेंगे इसलिए इनको ज़बरदस्ती पकड़कर ले आई हूँ फिर कोरियोग्राफ़र भी तो चले जाएँगे।”
“हाँ, ये तो सही किया, अरे भई लड़के की चाची का डाँस ए वन होना चाहिए।” वहाँ एकत्रित रिश्तेदारों ने समवेत कहा।
“बड़ी बहू जाओ तुम ही सामान निकाल कर रख लो। तुमको भी तो पता ही है कहाँ क्या रखा है। तब तक छोटी बहू भी प्रैक्टिस कर लेगी।” कुर्सी पर बैठी सास ने कहा।
नैना राशि को देख आँख मारते हुए बोली,” देखा ऐसे करना चाहिए।”
बाद में राशि को नैना ने कहा, “भाभी मैं जब अपने ससुराल गई ना तो अकेले मेरे से उतना काम ही नहीं होता था। फिर मेरी सास और ननद मिल कर करने लगे। अब तो देवरानी भी आ गई है। सच कहूँ सब मिलकर काम करते हैं तो घंटों का काम समझो मिनटों में हो जाता है। तो बस अब से आप भी वही करना। अब माँ से क्या ही बोलूँ ये सोच कर आपको समझा रही हूँ।”
राशि को भी लग रहा था जो भी काम सब उससे कहते वो सिर झुकाए करती चली जा रही थी। शायद इसलिए ही सब उससे करवाने भी लगे थे।” अब मैं भी ना कर दिया करूँगी ऐसा भी क्या जो वो नहीं कर सकते हैं।”

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