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अच्छाई की जीत

विभा गुप्ता

"अंशुल बेटे पापा से पूछ चाय बना दूँ।"
"अंशुल, अपनी मम्मी को बोल दे, नहीं पीनी है चाय मुझे।"
"अंशुल, पूछ अपने पापा से कि होलिका।"
"बस करो मम्मा....।" आठ वर्षीय अंशुल एकाएक चीख पड़ा।
आकाश और नमिता का इकलौता बेटा था अंशुल। दूसरी कक्षा में पढ़ता था। उसकी जब भी अपने मित्रों से लड़ाई हो जाती तो वह घर आकर मुँह फुलाकर बैठ जाता था। तब नमिता उसे प्यार-से समझाती कि बेटे, झगड़ा करना तो बहुत बुरी बात है। किसी मित्र ने कुछ कह दिया हो तो उसे इग्नोर करके हाथ मिला लेना चाहिए और तुमने कुछ गलत कह दिया हो तो सॉरी बोलकर फिर से उसे दोस्त बना लो। इस तरह से नाराज़ होना और मुँह फुलाकर बैठ जाना तो अच्छी बात नहीं है। तब अंशुल अपनी मम्मी की बात मानकर अपने मित्रों से फिर से दोस्ती कर लेता था।
होली से एक दिन पहले आकाश और नमिता में किसी बात पर अनबन हो गई और दोनों ने आपस में बातचीत बंद कर दी। एक-दूसरे को कोई भी बात कहने के लिए दोनों अंशुल का सहारा ले रहें थें। अब अंशुल बेचारा अपने मम्मी-पापा के बीच एक पेंडुलम बन गया था। शाम को होलिका-दहन के लिये जाना था तो नमिता बेटे से कह रही थी कि पापा से पूछो कि होलिका-दहन के लिये कब जाना है..लेकिन उसकी बात अधूरी रह गई क्योंकि अंशुल इस पूछा-पूछी से झुंझलाकर चीख पड़ा था।
बेटे की चीख सुनकर दोनों घबरा गये और एक साथ बोल पड़े, "क्या हुआ अंशुल बेटे?" तब अंशुल अपनी मम्मी के गले में अपनी बाँहें डालते हुए बोला, "मम्मा, आप तो कहती हैं कि झगड़ा करना गंदी बात है। याद है, लास्ट ईयर होली के दिन जब मैंने मनु से कट्टी कर लिया था तब आपने कहा था कि होली तो गले मिलने का फेस्टिवल है। होलिका-दहन में अपना गुस्सा और जेलेस (ईर्ष्या) का दहन कर देना चाहिए और आपने यह भी बताया था कि होली फेस्टिवल तो बुराई पर अच्छाई की जीत है, तो फिर आप पापा से....।"
"नहीं-नहीं बेटे, हम कोई झगड़ा नहीं कर रहे थे। तुम्हारी मम्मा ने बिल्कुल सही कहा है कि हमें क्रोध-कट्टी कभी नहीं करनी चाहिए। चलो...अब तुम जल्दी-से तैयार हो जाओ..।" आकाश ने तुरंत बात संभालते हुए अंशुल से कहा।
"ओके पापा...।" कहकर अंशुल कपड़े बदलने अपने कमरे में चला गया। आकाश और नमिता ने एक-दूसरे को सॉरी कहा और फिर तीनों होलिका-दहन वाली जगह पर चले गये। तीनों ने एक साथ पूजा किया तथा आकाश-नमिता ने अपने अहंकार की आहुति देते हुए प्रॉमिस किया कि अब कभी भी लड़ाई नहीं करेंगे...एक-दूसरे का सम्मान करेंगे।

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