नीरजा कृष्णा
रात के बारह बज रहे थे। अचानक मोबाइल पर खर्र खर्र हुई। सरिता जी एकाएक घबड़ा सी गईं कि इतनी रात को कौन है? फिर देखा कि अमेरिका से बहु सीमा थी। उनका वोही समय होता है। लपक कर फोन उठाया तो उधर से उनके पोते मनु की आवाज आई। हैलो दादी! आप कैसी हो?"
सरिता जी की नींद काफूर हो गई। हिला कर दादाजी को भी जगा दिया। "यस पोते राम! हाऊ आर यू?"
"क्या दादी! आप ठीक तो हो ना?"
"हाँ बेटा, बिल्कुल चुस्त दुरूस्त हूँ पर तुमको क्यों ऐसा लगा?"
मनु-- "अरे दादी! आपने राधे-राधे ना बोल कर हाऊ आर यू बोला तो मैं डर गया कि मेरी दादी को ये क्या हो गया?"
सरिता जी हँसते हँसते लोटपोट हो गई और बोली- "अरे माई डियर पोते राम! तेरी दादी सठिआई नहीं है बल्कि तेरे साथ मजे़ से गिटपिट करने के लिए अंग्रेजी भाषा सीख रही है। दादाजी ने एक ट्यूटर लगा दिया है।"
"वाह दादी! डैट्स ग्रेट ना....पर आपको काफ़ी कुछ अंग्रेजी आती ही है।"
"अरे नहीं ना डियर! तेरे प्यारे-प्यारे दोस्तों के सामने तो गड़बड़ हो ही जाती थी।"
"ओके दादी! ठीक है पर मैं तो आपको खुश करने के लिए बढ़िया हिन्दी सीख रहा हूँ। मम्मा ने भी मेरे लिए हिन्दी सिखाने को ट्यूटर रख दिया है। हिन्दी हमारी मातृभाषा है। हमको उसका पूर्ण ज्ञान होना चाहिए ना।"
दादी-दादा जी एकदम अवाक् हो गए। दोनों के नेत्रों से खुशी के आँसू बहने लगे।
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