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अपने तो अपने होते हैं…

डॉ. पारुल अग्रवाल


ज्योति और उसका पति सजल दोनों एम.एन.सी. में काम करते हैं और उनका एक साल का बेटा है। पर ज्योति को करीब पंद्रह दिन से वो काफ़ी सुस्त लगने लगा था। बच्चे को उनके पीछे देखने के लिए एक बारह घंटे की काम वाली रजनी है। अभी एक महीने से ही ज्योति ने अपनी नौकरी दोबारा शुरू की है। जिससे वो ऑफिस में भी बीच-बीच में बच्चे को देख सकें इस वजह से घर में सीसीटीवी लगवाया। सीसीटीवी कामवाली की अनुपस्थिति में लगवाया था।
अगले दिन ज्योति ऑफिस में जैसे ही अपने बेटे की झलक देखने के लिए बैठी तो उसने देखा तेज़ आवाज़ में टीवी चल रहा है। कामवाली का पति और सास भी घर पर ही थे। पति आराम से एसी चलाकर लेटा था। सास भी आराम से खा पी रही थी। बेटा रो रहा था तो उसको कुछ खिलाने-पिलाने की जगह उसको कुछ सुंघाकर सुलाने की तैयारी थी। ये सब देखकर उससे रहा नहीं गया उसने तुरंत पति को भी फोन करके घर चलने के लिए कहा। रजनी को शक न हो इसलिए ज्योति ने घर पर बच्चे के लिए फोन किया और ये दिखाया कि वो शाम तक ही घर पहुंचेगी।
रजनी पूरी तरह निश्चिंत थी। उसका पति और सास अभी घर पर ही थे। जैसे ही ज्योति और उसके पति ने अपनी चाबी से घर का दरवाज़ा खोला वो हैरान रह गई। सीसीटीवी से तो वो अनजान थे। रजनी ने झूठ बोलने की पूरी कोशिश की और कहा उसके सास और पति को कुछ काम था इसलिए वो आए हैं। जब ज्योति ने थोड़ा सख्ती से पुलिस की धमकी दी तब उसने बताया कि ये सब पंद्रह दिन से चल रहा है और बच्चे को वो हल्की मात्रा में अफ़ीम देकर सुला देते थे। ये सब सुनकर ज्योति के तो पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
उसने रजनी और उसके घरवालों को धक्के देकर निकाल दिया। अब ज्योति बहुत देर तक अपने बेटे को सीने से लगाकर फफक कर रोती रही। आज वो अपनी सास को अपने साथ ना रखकर गांव भेजने के निर्णय पर आठ-आठ आँसू रो रही थी। उसको याद आ रहा था कैसे, उसके बेटे के पैदा होने से कुछ समय पहले आकर उसकी सास ने सब संभाल लिया था, पर ज्योति को तो उनका कुछ भी कहना-सुनना अपने ऊपर नियंत्रण लगता था। तभी तो बेटे के छः महीने होते-होते उसने बच्चे को रखने वाली कामवाली को ढूंढना शुरू कर दिया था। आज उसे पता चल रहा था कि एक बच्चा अपने दादा-दादी के साथ जितना सुरक्षित है उतना किसी के साथ नहीं। सजल ने भी उसको बहुत समझाया था पर उसने एक ना सुनी थी।
बेटे के लिए ज्योति ने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया क्योंकि अब सास को वापस बुलाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। पर सजल ने चुपचाप उन्हें सब कुछ फोन पर बता दिया था। अगले दिन सुबह-सुबह घंटी बजी तो ज्योति ने देखा, सामने उसकी सास थी। ज्योति उनके चरणों में झुक गई। वो उसे गले लगाती हुई बोली बेटा तैयार हो जा नहीं तो ऑफिस के लिए देर हो जायेगी, वैसे भी अपने तो अपने होते हैं।

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