श्याम आठले
मैं ऑफिस के काम से मुंबई गया था। वैसे तो ऑफिस की तरफ से रुकने की व्यवस्था थी पर मित्र आकाश की ज़िद के आगे हार मानकर शनिवार-इतवार छुट्टी के दिन मित्र के फ्लैट पर रुकने को मुझे मानना पड़ा।
आज पहले इतवार को मैं उसके यहां गया। मित्र किसी काम से बाहर गया था। फ्लैट पर मैं, भाभी जी और मित्र का 13 वर्षीय सुपुत्र अर्जुन था। शायद अर्जुन बगल के कमरे में अपना होम वर्क कर रहा था। वह बार-बार कहता अलेक्सा साल्व दिस और प्रश्न पढ़ देता अगले ही पल लड़की की आवाज में प्रश्न का जवाब आ जाता। उस जवाब को अर्जुन हूबहू अपनी नोट बुक में लिख लेता। इसी प्रकार गणित के सवाल भी उसने जल्दी ही हल कर लिए। मित्र आकाश के आने के पहले-पहले उसने फटाफट अपना होम वर्क कर लिया। मित्र को पता भी नहीं चला कि उसके पीठ पीछे क्या हो रहा था। भाभी जी भी रसोई में व्यस्त थीं। फिर वो अलेक्सा से यहां-वहाँ के ऊलजलूल प्रश्न पूछने लगा।
उसके प्रश्नों ने मुझे मजबूर किया और मैंने कमरे में झाँका कि आखिर ये बात किससे कर रहा है। वह एक छोटा गोल सा यंत्र था जो इंटरनेट से चलता था। पावर पूर्ती के लिए प्लग लगा हुआ था। उसी यंत्र को अर्जुन बार-बार आदेश देता अलेक्सा के नाम से और वो जवाब देती। होमवर्क के बाद उसके प्रश्न थे, गर्ल फ्रेंड को कैसे रिझाएँ, गर्लफ्रेंड पटाने के आसान नुस्खे, दोस्तों को कैसे डराएं, उनपर अपना रौब कैसे जमाएं। इसी तरह के और भी प्रश्नों के उत्तर मांग रहा था।
आखिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कमरे में प्रवेश करते हुए कहा, "कहो अर्जुन क्या हो रहा है? वो सकपका गया और बोला, "कुछ नहीं अंकल जी अपना होम वर्क कर रहा था।"
"और ये अलेक्सा कौन है जिससे पूछकर तुम होम वर्क कर रहे थे।"
"अरे अंकल आपने सुन लिया! प्लीज पापा जी को मत बताइए कि मैंने अलेक्सा की मदद से होम वर्क किया। दर असल मुझे क्रिकेट का मैच खेलने जाना था और अपने मन से होम वर्क करता तो ज्यादा टाइम लगता।" मैं बोला, "मैं पापा जी से नहीं बताऊंगा पर तुम्हें एक वादा करना होगा कि अब आज के बाद फिर कभी तुम अलेक्सा की मदद से होम वर्क नहीं करोगे। तुमने 'आपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने' वाली कहावत तो सुनी ही होगी। यहांपर वही कहावत चरित्रार्थ हो रही है। तुम्हारा होम वर्क तो ठीक हो जायेगा पर क्या परीक्षा में अलेक्सा आएगी बताने? वहां तो आपके दिमाग में जो होगा वही उत्तर कॉपी पर उतरेगा। अलेक्सा की मदद से होमवर्क करना आत्मघाती कदम है इसे तुम जितनी जल्दी समझ लो उतना अच्छा है।"
अर्जुन दयनीय नज़रों से मेरी तरफ देखता रह गया। मैंने मन मैं सोचा कि आकाश से भी इस विषय में विस्तार से बात करनी होगी कि इस तरह की खतरनाक डिवाइस बच्चों के हाथों में नहीं पड़नी चाहिए, वे इसका किसी भी तरह से दुरूपयोग कर सकते हैं। वैसे आजकल इंटरनेट से युक्त मोबाईल पर भी ये सुविधा उपलब्ध है। अतः इस पर भी नज़र रखना जरूरी है कि बच्चे इसका किस तरह से उपयोग कर रहें हैं।
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