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आत्महित

श्री रूप किशोर श्रीवास्तव

एक किसान के घर में एक चूहा, एक साँप, एक कबूतर और एक बकरा रहते थे। वे आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन किसान चूहे से परेशान होकर एक चूहेदानी ले आया। चूहे ने जब देखा कि उसको पकड़ने के लिए यह चूहेदानी आई है तो वह डर गया। जब डर होता है तो अपनी व्यथा व्यक्ति दूसरों को जरूर बताता है शायद कुछ मदद मिल सके। चूहे ने भी वही किया और अपने तीनों दोस्तों साँप, कबूतर और बकरे को बताया।
उन लोगों ने उसकी बात पर कोई गौर इसलिए नहीं किया कि चूहेदानी से उनको क्या खतरा। लेकिन चूहा तो परेशान था इसलिए वो घर छोड़ कर बाहर भाग गया। रात्रि को किसान ने चूहेदानी का प्रयोग किया और चूहे को पकड़ने के लिए रोटी का टुकड़ा लगाया। चूहा तो पहले ही भाग गया था। सुबह साँप ने सोंचा चूहा तो फंस गया होगा चलो देखते हैं। चूहेदानी तो खाली थी और देखने के चक्कर में साँप उंसमें फंस गया।
जब किसान की पत्नी ने चूहेदानी उठाई और बाहर ले जाकर खोला तो साँप निकल पड़ा और उसने किसान की पत्नी को काट लिया। यह देखकर तुरंत किसान ने साँप को मार दिया। साँप के काटने से किसान की पत्नी के शरीर में जहर फैलने लगा। तुरंत वैध को बुलाया गया। वैध ने औषधि के साथ शरीर में गर्मी पंहुचने के लिए कबूतर के रक्त की व्यवस्था करने को कहा।
किसान ने जल्दी से कबूतर को मार दिया और उसका रक्त पत्नी को पिलाया। काफी इलाज़ के बाद वो ठीक न हो सकी और उसका देहांत हो गया। देहांत के बाद गाँव में खाना किया गया। भोजन के व्यवस्था के लिए बकरे को काट दिया गया। जब चूहा वापस आया तो कोई भी उसका मित्र नहीं था।
अपने लिए कोई खतरा न समझते हुए यदि वो मित्र अपने दोस्त की सहायता करते तो शायद सब बच जाते। लेकिन स्वार्थवश उन्होने ऐसा नहीं किया।

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