डॉ ममता
मुझे एक बात समझ नहीं आती। अगर किसी परिवार का शादीशुदा बेटा अच्छा नहीं कमाता तो उसकी पत्नी के साथ नौकरानी जैसा व्यवहार क्यों किया जाता है। क्या ऐसे लड़के के परिवार को शादी से पहले पता नहीं चलता कि उनका सपूत अपना घर नहीं चला पाएगा?
पर ऐसे लोगों का मानना होता है कि बेटे की शादी कर दो बस फिर सब ठीक हो जाएगा। मतलब जो मां बाप उसकी परवरिश करते हुए अच्छे संस्कार देने में नाकाम रहे। अब उनकी आने वाली बहू को वो काम करना है।
फिर अगर शादी के बाद भी बेटे की हालत नहीं सुधरती तो दूसरे घर की लड़की पर दोष मढ़ दिया जाता है।
जो लड़की कल तक अपने पिता के घर में राजकुमारी की तरह रहती थी, अब नौकरानी की तरह रहती है। ऐसे लोग झूठ बोलकर अपने बेटे की शादी मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की से कर देते हैं। ताकि कोई जल्दी से उनके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश न कर सके।
मेरे जानने वालों में एक पढ़े लिखे मध्यम वर्गीय परिवार की बेटी है। उसकी शिक्षा और संस्कार के साथ में सुन्दरता में भी कोई कमी नहीं है।
जब उसकी शादी की बात चल रही थी तब लड़के वाले बहुत मॉडर्न सोच दिखा कर मिले थे। लड़की ने शादी से पहले ही बता दिया था कि वो घर का सारा काम नही कर पाएंगी क्योंकि उसे जॉब भी जारी रखनी थी। लड़के वालों को इस बात पर कोई आपत्ति नहीं थी क्योंकि उनके घर में सब मिलजुल कर काम कर लेते थे। वैसे भी हर काम की कामवाली भी आती थी।
लड़की के घर वालों को वो लोग बहुत ही अच्छे और सच्चे लगे। उन्होंने कोई जांच पड़ताल नही की और शादी हो गई।
शादी के बाद लड़की को पता चला कि सब कुछ गलत बताया गया था। घर में एक भी कामवाली नही आती थी। ऊपर से लड़के की पढ़ाई तक सही नहीं बताई गई थी। लड़की को जॉब जाने से पहले सारा काम करके जाना पड़ता था और आकर फिर से काम पर लगना होता था। लड़की के घर के संस्कार ऐसे थे कि उसने लड़ाई झड़ने करना उचित नहीं समझा।
उसकी गर्भावस्था के आठवें महिनें में ससुराल से कोई सहायता न मिलने से उसे जॉब भी छोड़ना पड़ा था क्योंकि वो सारा काम नही कर पा रही थी। उन्हीं दिनों उसे पता चला कि उसके पति के शादी से पहले तीन चार लड़कियों के साथ संबंध रहे थे और उनमें से दो से अभी भी बात जारी है।
इस बात कर विरोध करने पर दोनों में कहा सुनी हो गई और पति ने गुस्से में उसे थक्का मार दिया और वो दीवार से टकरा कर गिर गई। किस्मत से सिर में थोड़ी चोट आई, पर बच्चा सलामत था।
सास ने बहू को यह कह कर समझाया कि "कभी-कभी पति को गुस्सा आ जाता है। हमें ही धीरज रखना चाहिए। लड़के उड़ते भंवरे की तरह होते है कभी यहां.. कभी वहां...बैठते रहते है।"
यहां मेरा एक सवाल है। क्या उस समय सास को अपने बेटे को जोरदार थप्पड़ नही जड़ देना चाहिए था?
लड़की के घरवालों ने भी निर्णय लड़की पर ही छोड़ दिया क्योंकि अब वो मां बनने वाली थी और उसका फैसला बच्चे की जिंदगी को भी प्रभावित करने वाला था। आज भी हमारे समाज में तलाक़ लेना इतना आसान नहीं होता, जितना दिखता है। हर कोई इतनी हिम्मत नही दिखा पाता।
अपने बच्चे के बारे में सोच-सोच कर वो यह कदम नहीं उठा पाई और अवसाद में रहने लगी। आज भी वो पति के साथ तो रहती है पर क्या दिल से उसे सम्मान दे पाती होगी? और ऐसी सास को तो अपनी झूठी शान दिखाना बंद ही कर देना चाहिए।
एक औरत ही औरत को न समझे तो इससे बड़े दुख की बात तो कुछ भी नही हो सकती।
अंत में यह कहना चाहूंगी कि अपनी बेटी की शादी करते समय लड़के वालों से हर एक बात साफ-साफ करे। लड़के के सारे दस्तावेज़ और वेतन पर्ची जरूर चेक करे। परिवार के बारे में पूरी जांच पड़ताल भी करे। सबसे जरूरी है बेटी को आत्मनिर्भर और निडर बनाए।
*******
Comments