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एक कहानी, अपनी भी

डॉ. कृष्ण कांत श्रीवास्तव

आज कल्पना की शादी पक्की हो जाती है। लड़का भी सरकारी बैंक में अच्छे पद पर है। भावनाओं के सागर में हिचकोले लेती कल्पना अपने ब्वॉयफ्रेंड शेखर से मिलती है और पूछती है – अच्छा, यदि आज किसी दूसरे लड़के से मेरी शादी हो जाए तो तुम क्या करोगे?
शेखर तो जैसे इस प्रश्न के उत्तर के लिए पहले से ही तैयार था। उसने बिना देर किए बहुत छोटा सा जवाब दिया – मैं, तुम्हें भूल जाऊंगा।
ये सुनकर कल्पना गुस्से में दूसरी तरफ घूम कर बैठ गई। उसको शायद शेखर से इतने सीधे और सपाट उत्तर की आशा न थी।
फिर भी बात को आगे बढ़ाते हुए कल्पना ने शेखर से कहा, “क्या यह सब इतना आसान है?”
तुम सच कहती हो, मेरे लिए तो यह सब इतना आसान नहीं है। परंतु लड़कियों का क्या कहना। वह तो पल में अपनी पिछली जिंदगी को भुला देती हैं। आखिरकार, तुम भी तो लड़की हो और तुम भी इसी प्रकार मुझे बुला दोगी। तो बेहतर तो यही होगा कि जितनी जल्दी तुम मुझे भूल जाओ, मैं भी उतनी जल्दी तुम्हें भुला सकूं।
इतने आत्मविश्वास के साथ तुम यह कैसे कह सकते हो कि मैं तुम्हें पल भर में भुला दूंगी? कल्पना ने भीगी आंखों से शेखर की ओर देखते हुए पूछा?
शेखर ने बोलना शुरू किया - "सोचो शादी का पहला दिन है। तुम अपने घर में हो। घर में शादी की जोर-शोर से तैयारियां हो रही हैं। तुम शरीर में किलो भर सोने के जेवरात और महंगे कपड़े पहन कर घूम रही होगी। तुम्हारे दोस्त, रिश्तेदार तुम्हारे आसपास घूम रहे होंगे। फोटोग्राफर विभिन्न कोणों से तुम्हारे चित्र ले रहे होंगे और तुम हर चित्र में मुस्कुराकर देख रही होगी। तुम्हारे दोस्त और तुम्हारे रिश्तेदार तुम्हारी खिलखिलाहट पर अपनी सहमति दे रहे होंगे। तब क्या तुम मुझे याद कर रही होगी। नहीं, ऐसे उत्सव के माहौल में और लोगों की भीड़ में तुम मुझे चाह कर भी याद नहीं कर सकती।
"और मैं तुम्हारी शादी की खबर सुनकर दोस्तों के साथ कुछ उटपटांग पीकर किसी कोने में पड़ा रहूंगा और फिर जब मुझे होश आएगा तब मैं तुम्हें धोखेबाज, बेवफा बोलकर गाली दूंगा!"
"फिर जब तुम्हारी याद आएगी तो अपने किसी दोस्त के कंधे पे सर रख के रो लूंगा।"
बारात आएगी, शादी की रस्में होंगी, तुम्हारी विदाई भी होगी परंतु उस वक्त भी तुमको हमारी याद नहीं आएगी। शादी के बाद तुम्हारा व्यस्त समय शुरू हो जाएगा। फिर तुम अपने पति और हजार तरह की रस्मों को निभाने में व्यस्त रहोगी।
हमारी याद तुम्हें कभी नहीं आएगी ऐसा तो मैं नहीं कहूंगा। कभी-कभी तुम्हें मेरी याद आएगी, जब तुम अपने पति का हाथ पकड़ोगी, उसके साथ बाइक पर बैठोगी।
"और उस समय भी, मैं आवारा की तरह इधर-उधर घूमता रहूंगा। जैसे जिंदगी का कोई मकसद ही नहीं और अपने दोस्तों को समझाऊंगा कि "कभी प्यार मत करना कुछ नहीं मिलता। जिंदगी खत्म हो जाती है, इस प्यार के चक्कर में।”
कुछ वक्त बाद तुम अपने पति के साथ हनीमून पर जाओगी। नई-नई जगहों पर घूमोगी, विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद चखो होगी, महंगी कार और हवाई जहाज का सफर करोगी, अजनबियों के शहर में अपने पति के हाथों में हाथ डालकर कभी आइसक्रीम तो कभी पॉपकॉर्न का मजा लोगी, क्या तब तुम्हें हमारी याद आएगी? लौट कर आओगी तो नया घर होगा, नए लोग होंगे, नए रिश्ते होंगे, सब कुछ नया होगा और वहां सब तुम्हें हाथों-हाथ ले रहे होंगे। तब क्या तुम्हें इतना समय मिल पाएगा कि तुम मुझे याद कर सको?
सब खुश होगे और तुम्हारे दिन भी खुशी से बीत रहे होंगे। परंतु एक दिन जब तुम अकेली होगी और घर पर कोई नहीं होगा तब तुम्हें अचानक मेरी याद आएगी और तुम सोचोगी. "पता नहीं किस हाल में होगा, क्या कर रहा होगा, जब मैं मिलूंगी तो उसको कैसे अपनी मजबूरियों के बारे में बताऊंगी और फिर मेरी खुशी की दुआ मांगते हुए वापस अपने परिवार में व्यस्त हो जाओगी।
इधर मैं मजनू बना सड़कों पर इधर से उधर चक्कर काट रहा होऊंगा। किसी काम में मन नहीं लगा रहा होगा। घर में और दोस्तों के साथ भी बात-बात पर झगड़ा कर लेता होऊंगा। मैं अब-तक अपने मम्मी-पापा, भाई या फिर दोस्तों से डांट सुन-सुन कर लगभग सुधर ही गया होऊंगा।
पग-पग पर ठोकर खाने के बाद, जिंदगी को नए ढर्रे पर लाने के लिए, मम्मी-पापा भाई-बहन और सभी नाते रिश्तेदारों की खुशी के लिए, जीवन को नए सिरे से बुनने का प्रयास आरंभ कर दूंगा। जिंदगी को चलाने के लिए कुछ तो करना ही होगा।
नौकरी करके और एक अच्छी सी लड़की से शादी करके तुम्हारे दिए दर्द के प्रतिशोध को तो तुम्हें दिखाना ही होगा। सबको यही बोलूंगा कि भुला दिया है मैंने तुम्हें। लेकिन इस सब के बावजूद, आधी रात को, तारों की चादर तले जब नींद नहीं आएगी तब मैं तुम्हारे मैसेजेस को निकाल कर पढूंगा और सोचूंगा शायद मेरे प्यार में ही कमी थी, जो तुम्हें न पा सका। फिर अपनी तकलीफ को कम करने की कोशिश करूंगा।
समय का चक्र घूमेगा, बड़ी तेजी से घूमेगा। अब तुम कोई प्रेमिका या नई दुल्हन नहीं रहोगी। अब तुम मां बन चुकी होगी। पुराने आशिक की याद और पति के प्यार को छोड़कर तुम अपने बच्चे के लिए सोचोगी अब तुम अपने बच्चे के साथ व्यस्त रहोगी।
मतलब अब तक मैं तुम्हारी जिंदगी से पूरी तरीके से हमेशा के लिए निकल चुका होऊंगा। इधर मुझे भी एक अच्छा काम मिल गया होगा। शादी की बात चल रही होगी और लड़की भी पसंद हो गई होगी। अब मेरा भी व्यस्त समय शुरू हो गया होगा। अब मैं तुम्हें सचमुच भूल गया होऊंगा।
अब अगर मैं जीवन के किसी मोड़ पर किसी जोड़ी को देखूंगा तो उन्हें देखकर मुझे तुम्हारी याद तो अवश्य आएगी। परंतु अब तकलीफ नहीं होगी …..
एक ही सांस में इतनी लंबी दास्तां सुनाने के बाद शेखर ने देखा कि कल्पना की आंख में आंसू छलक रहे हैं। कल्पना भरी आंखों से शेखर की तरफ देखती है। दोनों बिल्कुल चुप हैं पर आंखे बरस रही हैं।
थोड़ी देर बाद
कल्पना -"तो क्या सब कुछ यहीं खत्म हो जाएगा?”
शेखर -"नहीं.! किसी बात पर, जब तुम अपने पति से रूठ जाओगी लेकिन तुम्हारे पति आराम से सो रहे होंगे। उस रात तुम्हारी आंखों में नींद नहीं होगी और इधर मैं भी अपनी पत्नी से किसी बात पर खफा होकर तुम्हारी तरह जागूंगा। पूरी दुनिया सो रही होगी, सिर्फ हम दोनों के अलावा। फिर हम अपने अतीत को याद करके खूब रोएंगे। एक दूसरे को बहुत महसूस करेंगे। लेकिन इस बात का भगवान के अलावा और किसी को पता नहीं चलेगा।
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