top of page

एक जादुई घर

शशि गुप्ता

एक दिन एक लेखक की पत्नी ने उससे कहा कि तुम बहुत किताबें लिखते हो। आज मेरे लिए कुछ लिखो तो फिर मुझे विश्वास होगा कि तुम सच में एक अच्छे लेखक हो।
फिर लेखक ने लिखा.. मेरा जादुई घर
मैं, मेरी पत्नी और हमारे बच्चे, एक जादुई घर में रहते हैं।
हम अपने गंदे कपड़े उतार देते हैं, जिन्हें अगले दिन साफ ​​कर दिया जाता है।
हम स्कूल और ऑफिस से आते ही अपने जूते उतार देते हैं, फिर अगली सुबह हम साफ सुथरे पॉलिश वाले जूते पहनते हैं।
हर रात कूड़े की टोकरी कचरे से भरी होती है और अगली सुबह खाली हो जाती है।
मेरे जादुई घर में खेलते समय बच्चों के कपड़ों से बदबू आती है, लेकिन अगले ही पल वे साफ हो जाते हैं और उनके खेल उपकरण जल्दी से अपने बक्से में फिर से व्यवस्थित हो जाते हैं।
मेरे जादुई घर में हर दिन मेरे और मेरे बच्चों के लिए पसंदीदा खाना बनता है।
मेरे जादुई घर में, आप सुन सकते हैं "माँ, मम्मी मम्मा" हर दिन लगभग सौ बार पुकारा जाता है।
मम्मा नेल क्लिपर कहाँ है? माँ, मेरा गृहकार्य पूरा करो। मम्मा, भाई मुझे पीट रहा है। मम्मा, आज मेरा स्कूल लंच बॉक्स बनाना मत भूलना, माँ आज ही हलवा पूङी बनाओ।
माँ, मुझे आज चींटी नहीं मिल रही है, वह यहां रोज एक लाइन में चलती है।
माँ मेरे लिए एक सैंडविच बनाओ, मुझे भूख लगी है।
माँ मुझे वॉशरूम जाना है।
मम्मा, मुझे पहले भूख लगी थी।
अभी नहीं रात को सोने से पहले जो आखिरी शब्द सुना वो है "माँ" और सबसे पहला शब्द सुना है "माँ" जब मैं सुबह अपने जादुई घर में उठता हूँ।
बेशक, इस जादुई घर की ओर अब तक कोई भी आकर्षित नहीं हुआ है, हालांकि सभी के पास यह जादुई घर है। और शायद ही कभी किसी ने इस घर के "जादूगर" का धन्यवाद किया होगा।
इन जादुई घरों का जादूगर कोई और नहीं बल्कि हर "पत्नी और मां" है। जो अपने ही घरों में करते हैं ऐसा जादू।
भगवान हर उस "पत्नी और मां" को आशीर्वाद दें, जिनके "धैर्य और अनंत कर्म" हर घर में समृद्धि लाते हैं।

*****

1 view0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page