अशोक कुमार बाजपेई
अब गति आगे बढ़ाओ
एक पेड़ हमने लगाया एक तुम लगाओ
पंक्ती को बनाओ
पांति को सजाओ
एक पेड़ हमने लगाया एक तुम लगाओ
यहां से जिंदगी की शुरुआत है
पेड़ों से ही होती बरसात है
अपने-अपने घर को सब सजाओ
एक पेड़ हमने लगाया एक पेड़ तुम लगाओ
वृक्ष पानी साथ हो
और फिर ना कोई बात हो
चिड़िया हर वृक्ष पर चहचहाएगी
तितलियां उड़ उड़ आएगी
भौरे फिर भन भननाएंगे
गीत अपना-अपना गाएंगे
धरती हरी भरी हो जाएगी
सबके मन को भाएगी
एक हाथ हमने बढ़ाया एक तुम भी बढ़ाओ
एक पेड़ हमने लगाया एक तुम लगाओ।
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