गोवा के एक गांव अगोड़ा का समुद्र तट। सफेद रेत गहरे नीले सागर की लहरें, रेत की प्यास बुझाने किनारे तक आती, चूमती और फिर वापस। रेत फिर प्यासी और फिर इंतजार। एक अद्भुत रिश्ता प्यास और तृप्ति का। अनंत काल से चला आ रहा और आज भी अटूट है। गांव के निवासियों का जीवन, नाव, जाल, मछली और गजब का धैर्य। कठिन जीवन पर दुख आसपास नहीं। दिल के धनी और उतनी ही घनी आबादी।
आज पूरा चांद और आधी रात कई दिनों से इस घड़ी का इंतजार। मछली पालन गांव वालों की रोजी रोटी है। आज बहुत अच्छी फसल मिलने वाली है।
अंजली एक मेहनत कश मछुआरन 60 साल पार कर चुकी, अकेली अपनी बेटी मारिया के साथ तट के किनारे बनी एक झोपड़ी में जीवन व्यतीत कर रही है। मछली पकड़ना और बाजार में बेचना बस इतनी सी जिंदगी। मारिया को स्कूल तो भेजा पर बहुत आगे तक नहीं पढ़ा सकी। अपना हाथ बटाने के लिए काम पर साथ ले जाने लगी। 18 साल की मारिया खूबसूरत, भरा पूरा बदन, अच्छी कद काठी, जवानी की दहलीज पर खड़ी। धूप में तपी, तांबे जैसा रंग, काजल में लिपटी बड़ी-बड़ी आंखें, गाल पर गोदन, होठों पर छाल की लाली, दांतों में मिस्सी, कानों में मोरपंखी, कमर में सीप की करधनी, दखनों तक काँचदार गोवन धोती, यौवन का भार संभालें गठदार कपड़ा, कलाई में काला धागा, सर पर बांस की टोकरी, हाथ में हसियाँ, मासूम हिरनी सी चाल। पर निर्भीक और बिंदास युवती है। काम मछली पकड़ना, बाजार में जाना, खाली समय में साथियों के संग रेत की फुटबॉल खेलना, नृत्य, संगीत और रविवार को मां के साथ चर्च जाना।
आज मां अंजली की तबीयत कुछ हल्की है। उसने मारिया को पड़ोसी युवक एंथोनी के साथ जाने को कहा। पूरा चांद आधी रात को मछुआरे जरूर मछली पकड़ने ऊंची लहरों पर नाव तैराकर समुद्र में दूर तक जाकर जाल फेंकते हैं। ज्यादा मछली मिलने की उम्मीद से।
एंथोनी सांवला, हिष्ट-पुष्ट, छहरा बदन का 25 साल का युवक, एक अच्छा नागरिक। मारिया को उसके साथ भेजकर मां निश्चिंत हो गई। दोनों जाल, कांटे और नाव लेकर तैयार थे। अचानक बहुत ऊंची लहर आई और नावों को लेकर दूर समुद्र में चली गई।
मारिया का यह पहला अवसर था। वह संभल न पाई और नाव के बाहर गिरी। तैराक थी तैरने लगी। एंथोनी ने नाव में देखा मारिया नहीं थी। घबराया हुआ वह इधर-उधर देखने लगा। तभी मारिया ने हाथ उठाकर आवाज लगाई। एंथोनी तुरंत कूदा और तैर कर मारिया की बाजू पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। ड़री मारिया एंथोनी से लिपट गई और सुबकने लगी। उसने मारिया को कमर से पकड़ कर ऊपर उठा कर बैठाने की कोशिश में पूरा बदन गीला, कपड़े भीग कर चिपक गए, दोनों नाव में गिर गए। दोनों हांफ रहे थे। रात तो सर्द थी पर बदन गर्म। गर्म सांसे, नमकीन पानी, सारा बदन नमकीन हो चुका था। खराब मौसम, बादलों की गड़गड़ाहट तभी दूर कहीं बिजली कड़की। डर कर मारिया एंथोनी से और कसकर लिपट गई। पानी बरसने लगा। एंथोनी ने अपने शरीर से मारिया को ढक लिया। कुछ समय बाद समुद्री तूफान तो थम गया पर मारिया की जिंदगी का यह पहला तूफान था। पूनम की रात मछलियों की बहुत अच्छी फसल मिली, पूरा गांव जश्न मना रहा था। नृत्य, शराब फैनी, गीत-संगीत और दावत। अंजली ने देखा मारिया और एंथोनी की नज़रें मिलना, फिर शर्माना फिर मिलना। अंजली को 50 साल हो गए थे। इस धंधे में वह अच्छी तरह से मछली और मछुआरों की आदतों से वाकिफ थी। उसे देर न लगी समझने में कि मारिया एक मछली बन चुकी है। और एंथोनी एक जाल।
मछली बाजार, गोंजाल्विस मंडी का सबसे बड़ा ठेकेदार, 50 साल का अधेड, काला रंग 6 फुट लंबाई, मजबूत शरीर, काली मूछें, घूंघराले डाई लगे काले बाल, सफेद शर्ट, सफेद लूंगी, सफेद चप्पल, सोने की मोटी-मोटी चैने, अंगूठियां, हाथ में सोने का सिगरेट केस और लाइटर। आयात निर्यात का व्यवसाय। शौक नई मछली, नई कार, नई करेंसी और पुरानी शराब, कमर में पिस्टल, शासन-प्रशासन जेब में रखता है। मंडी का भाव भी वही खोलता है। काली ऊंची कार, गनर, चमचों का काफिला, रोज की तरह आज भी बाजार में आ गया।
उसकी नजर मारिया पर पड़ी और उसे यह मछली पसंद आ गई। उसने अंजली और मारिया को अंदर बुलाया। मारिया पर नजर हटाए बिना उसने अंजली से पूछा क्या कीमत है। इस मछली की। उसने नोटों की दो गड्डी अंजली की तरफ फेंक कर बोला। मैंने तुम्हारी सारी मछली खरीद ली है। मारिया की तरफ इशारा करके बोला इसकी क्या कीमत है। अंजली डर गई सारा बाजार डरता था। मारिया से कहां चलो। साहब हमें माफ कर दें, हम गरीब लोग हैं। गोंजाल्विस ठहाका मारकर हंसा। अच्छा माफ किया पर हर बार नहीं। मारिया को उसकी बदनीयती समझने में देर नहीं लगी।
दूसरे दिन मारिया कुये से पानी निकालने सुबह-सुबह गई थी। वहां उसकी भेट अंथोनी से हो गई। पहले तो वह एक दूसरे के गले लगे फिर मारिया ने बाजार वाली बात बताई। एंथोनी ने कहा कि गोंजाल्विस एक खतरनाक ठेकेदार है। जो भी चाहता है। ले ही लेता है। लेकिन मारिया निर्भीक और साहसी लड़की थी। उसने एंथोनी से कहा कि यदि तुम मेरा साथ दो और अगर तुम मुझसे सच्चा प्यार करते हो। तो हम सब मिलकर उसको सबक सिखाएंगे।
रविवार को मारिया अंजली के साथ चर्च गई। प्रार्थना के बाद उसने अपनी बाजार की सहेलियों से बात की। सब ने अपने ऊपर बीती घटनाएं बताई। सब गोंजाल्विस से बदला लेने को तैयार हो गई। मारिया ने कहा अगर हम सब लोग साथ रहेंगे तो वह कुछ नहीं कर पाएगा।
मारिया ने “मछुआरन संघर्ष मोर्चा” बनाया। एंथोनी को अध्यक्ष बनाया, जिससे मछुआरों का भी साथ मिले। अगले शनिवार बड़ा बाजार होता है। “मछुआरन संघर्ष मोर्चा” ने धरना प्रदर्शन किए। और 3 दिनों तक उसका घेराव किया। पूरे बाजार को गोंजाल्विस के गुनाहों का पर्दाफाश किया। गांव के काउंसलर ने उनके अपराधों का संज्ञान लिया और कार्यवाही करके उसे दंड़ दिया गया। अब मंडी का आचरण बदल गया था। बदसलूकी खत्म हो गई थी। गोंजाल्विस के ऑफिस पर लगा पोस्टर भी फाड़ दिया गया। जिसमें लिखा था
यहां नया पुराना सब माल बिकता है।
कीमत गोंजाल्विस तय करता है।
आज “मछुआरन संघर्ष मोर्चा” की दूसरी वर्षगांठ का जश्न मनाया जा रहा है। पूरा बाजार सजा है और स्वतंत्र खरीद हो रही है। मारिया और एंथोनी मंच पर बैठे हैं। मीटिंग चल रही है। गोंजाल्विस अपने ऑफिस की कांच के पीछे बैठा सुन देख रहा है। मारिया अपना भाषण इन लाइनों के साथ समाप्त करती है
“हर मछली के दांत होते हैं।
वह चाहे तो हर जाल काट सकती है।”
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