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एक लड़की का परिवार

डॉ. कृष्ण कांत श्रीवास्तव

नलिनी के घर पर आज काफी मेहमान आए हुए थे। चूंकि उनके शहर में उनके किसी रिश्तेदार के यहां कार्यक्रम था। तो उसकी दो मासी और मामाजी कार्यक्रम में सम्मिलित होने आए थे। इसलिए सभी उनकी आवभगत में लगे हुए थे।
एक हफ्ते बाद नलिनी के ममेरे भाई के बेटे का पहला जन्मदिन भी था। इसलिए मामाजी को कुछ खरीददारी भी करनी थी। इसलिए कार्यक्रम में सम्मिलित होने के बाद वे बाज़ार के लिए निकल गए। और दोनों मासी और नलिनी की मां आपस में बातें करने में व्यस्त हो गए। कुछ वक़्त बाद ही छोटी मासी की ट्रेन थी। और उनके निकलने का वक़्त हो गया था। तो वे सभी से विदा लेकर निकल गई। बड़ी मासी, मामाजी के साथ उनके घर ही जाने वाली थी। ताकि कुछ वक़्त वो नानीजी और बाकी सबके साथ रह सके। और फिर जन्मदिन में सम्मिलित होकर लौट आए। तभी मामाजी हाथों में सामान लिए घर में प्रवेश करते हैं। कुछ देर बाद उनकी भी ट्रेन का वक़्त होने वाला था। उन्होंने अंदर प्रवेश करते ही मासी से कहा - जीजी, उठो। गाड़ी का टाइम होने वाला है। इतने में नलिनी उनके लिए पानी ले आई।
मामाजी और मासी स्टेशन के लिए घर से निकल पड़े। चूंकि मामाजी के पास सामान ज्यादा था। तो उन्होंने दो रिक्शा कर लिए। एक रिक्शा में मामाजी सारे सामान के साथ बैठ गए। और दूसरे रिक्शा में मासी और उनका सामान रखवा दिया। नलिनी मासी का कुछ सामान लिए उन्हें रिक्शा तक छोड़ने गई थी। रिक्शा से उतरते वक्त उसने मासी के पैर छुए। तो मासी ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा - चल मेरे साथ। थोड़े दिन वहां रहना और फिर जन्मदिन के बाद वापस आ जाना।
तो नलिनी ने यूं ही कह दिया - "मासी, मैं सहपरिवार आऊंगी।" तब मासी ने कहा - "सहपरिवार, तेरा कौन सा परिवार?"
ये बात सुनकर नलिनी के चेहरे के भाव ही बदल गए। आंखो में नमी आ गई। पर जैसे-तैसे उसने अपने आंसू छुपा लिए। दरअसल नलिनी की शादी नहीं हुई थी। लाख कोशिशों के बाद भी उसका रिश्ता अभी पक्का नहीं हुआ था। पर इसका मतलब ये तो नहीं है कि उसका कोई परिवार नहीं है। अगर लड़की की शादी ना हो तो क्या उसका कोई परिवार नहीं होता। क्या उसके मां-बाप उसका परिवार नहीं हैं?
उसके मन में कभी इस बात का मलाल नहीं हुआ था कि उसका रिश्ता नहीं हो पा रहा हैं या कभी होगा भी या नहीं। पर अपने ही रिश्तेदार और समाज के लोग उसे इस बात का एहसास कराने से नहीं चूकते। वो चाहती तो मासी की उस बात का जवाब दे सकती थी। पर उसके संस्कारों ने उसे किसी बड़े को उल्टा जवाब देने से रोक दिया। और वो बिना कुछ कहे घर वापस लौट आई।

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