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एक शिष्य का सफरनामा

वर्ष 2013-14 में मेरी फेशबुक पर एक मित्रता निवेदन आया, मेंने देखा नाम था सपना सोनी।मित्रता निवेदन स्वीकार ने के बाद निरंतर साहित्य संबंधित चर्चाएँ होती रहीं।उस वक्त वह अपनी मानसिक रोग से पीड़ित बेटी के दुख से बेहद आहत थीं, उनका दिल करता था कि बेटी के साथ दिल खोल कर उससे बात करे उस पर अपना ममत्व लुटाए, पर ला इलाज बीमारी के चलते वह चाह कर भी अपनी बेटी के साथ अपनी भावनाओं को साझा नहीं कर पातीं थीं। सपना सोनी को अपनी बेटी से जो कुछ कहने की इच्छा होती थी, उन भावनाओं को वह कविता के रूप में अपनी डायरी में सजोती जा रहीं थीं।उनमें से कुछ दिल को छूले ने बाली रचनाओं में से किसी एक रचना को कभी कभार अपनी फेशबुक की टाइमलाइन पर भी पोस्ट करती रहतीं थीं।यह बात अलग है कि अब वह बिटिया रानी इस दुनिया में नहीं रही। वार्तालाप के दौरान एक दिन उन्होंने कविता परिमार्जन हेतु आग्रह किया जिसे मेंने सहर्ष स्वीकारते हुए अपनी क्षमतानुसार उनकी रचनाओं को परिमार्जित करता रहा। इसी दौरान मेरे परम मित्र दिल्ली के मसहूर शायर आदरणीय मंगल नसीम जी उनके समपर्क में आए और उन्होंने सपना सोनी को एक बेटी की तरह ग़जल की विधवत शिक्षादी।साथ ही सपना सोनी की शुरीली आवाज में कविता पाठ करते देख उनको मंचों पर कविता पाठ करने के अवसर मुहैया कराए। उसके बाद सपना सोनी हर रोज कविता के नए नए सोपान लिखती गईं और मंचों से ले कर तमाम टी.वी चैनलों पर कविता पाठ करती नजर आईं।उन्होंने तमाम अवसरों पर मुझ से गुरुशिष्या के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु रूबरू मुलाकात करने के प्रयास किये, किन्तु ऐसा कोई अवसर नहीं मिला कि रूबरू मिल सकें । संयोग से एक बार मसहूर कवि/लेखक आदरणीय साहित्य मनीषी ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित श्रद्धेय प्रो. नामवर सिंहजी द्वारा स्थापित नारायणी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन हेतु मैं अहमदाबाद से दिल्ली की यात्रा पर था। संयोग से उस दिन 27- जुलाई 2018 गुरु पूर्णिमा थी। मैं जिस रेलगाड़ी में था वह सुबह करीब 9:00 बजे राजस्थान के दौसा स्टेशन पर पहुंची।
राजस्थान की चर्चित और सुप्रसिद्ध कवियत्री सपना सोनी जी अपने जीवन साथी मनोज कुमार सोनी के साथ सुबह से मेरी रेलगाड़ी के पहुचने की प्रतीक्षा करती दौसा स्टेशन पर मिलीं। उन्होंने शाल, नारियल, वस्त्र और स्वरचित पुस्तक "मनकाझरना" देकर फूल हार से अकिंचन को गुरु की उपाधि से सम्मानित किया जोकि, मेरे साहित्य लेखन के लिए सबसे बड़ी उपाधि थी। यसस्वीभव: का आशीर्वाद देकर मैं पुनः अपनी रेलगाड़ी में जा बैठा। चूँकि उस स्टेशन पर उस रेलगाड़ी के रुकने का कुल समय 5 मिनट ही था। आज वही सपना सोनी तमाम टी.वी. चैनलों पर कविता पाठ करते हुए मसहूर कवि / लेखक और सोनी सब पर प्रख्यात टी.वी. धारावाहिक तारक मेहता का उलटा चसमा में तारक मेहता के अभिनय में नजर आने बाले आदरणीय शैलेन्द्र लोढाजी द्वारा संचालित शेमारू टी. वी. चैनल पर धारावाहिक वाह भाई वाह कार्यक्रम तक के सफरना मे की कुछ यादें आप सबके साथ साझा करते हुए गौरव महसूस कर रहा हूँ। साथ ही कामना करता हूँ कि सपना सोनी साहित्य के हर रोज नए आयामों को छुएँ। इसी शुभाषीश के साथ आप सब को मेरा सादर नमन।
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