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कद्दू की तीर्थयात्रा

हमारे यहाँ तीर्थ यात्रा का बहुत ही धार्मिक व संस्कारिक महत्त्व है। पहले के समय तीर्थ यात्रा में जाना बहुत कठिन कार्य माना जाता था। तीर्थ यात्रियों द्वारा पैदल या बैलगाड़ी में यात्रा की जाती थी। यात्रा में थोड़े-थोड़े अंतर पर रुकना होता था। विविध प्रकार के लोगों से मिलना जुलना होता था, समाज का दर्शन होता था। विविध बोली और विविध रीति-रीवाज से तीर्थ यात्रियों का परिचय होता था। कई कठिनाईओं से गुजरना पड़ता, तो कई प्रकार के अनुभव भी प्राप्त होते थे।
एकबार तीर्थ यात्रा पर जानेवाले लोगों के संघ ने एक संत जी के पास जाकर उनके साथ चलने की प्रार्थना की। सोचा कि संत के साथ होने से यात्रा का महत्व दो गुना हो जाएगा। संत जी ने यात्रा पर जाने में अपनी असमर्थता बताई। उन्होंने तीर्थ यात्रियों को एक कड़वा कद्दू देते हुए कहा, “किन्ही कारणों वश, मैं तो आप लोगों के साथ जा नहीं सकता लेकिन आप इस कद्दू को साथ ले जाईए और जहाँ-जहाँ भी स्नान करें, इसे भी उस पवित्र जल में स्नान करा लाये आपकी महान कृपा होगी।”
लोगों ने संत के गूढार्थ पर गौर किये बिना ही वह कद्दू ले लिया और जहाँ-जहाँ गए, स्नान किया, वहाँ-वहाँ कद्दू को भी स्नान करवाया, मंदिर में जाकर दर्शन किया तो कद्दू को भी दर्शन करवाया और ऐसा कर उन्होंने संत की आज्ञा का अनुपालन किया। ऐसे यात्रा पूरी कर सब वापस आए और उन लोगों ने वह कद्दू संतजी को वापस दिया। संतजी ने सभी यात्रियों को अपने आश्रम में प्रीतिभोज पर आमंत्रित किया। तीर्थ यात्रियों को विविध पकवान परोसे गए। तीर्थ में घूमकर आये हुए कद्दू की सब्जी विशेष रूप से बनवायी गयी। सभी यात्रियों ने खाना शुरू किया और सबने कहा कि “यह सब्जी तो कड़वी है।” संतजी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि “यह सब्जी तो उसी कद्दू से बनी है, जो तीर्थ स्नान कर आया है। बेशक यह तीर्थाटन के पूर्व कड़वा था, मगर तीर्थ दर्शन तथा स्नान के बाद भी इस में कड़वाहट तो पहले जैसी ही बनी हुई है।”
यह सुन कर सभी यात्रियों को अपनी गलती का बोध हो गया कि ‘हमने तीर्थाटन किया है लेकिन अपने मन एवं स्वभाव को सुधारा नहीं तो तीर्थयात्रा का कोई मूल्य नहीं है। हम भी इस कड़वे कद्दू जैसे कड़वे रहकर वापस आये हैं।’
सार - जब तक हमारे व्यवहार व सोच में परिवर्तन नहीं होता है हमारी तीर्थ यात्रा अधूरी ही मानी जाती है। संस्कारों में आधारभूत परिवर्तन ही तीर्थ यात्रा का वास्तविक प्रतिफल है।
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