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कलेजे का टुकड़ा

डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव

पापा मैने आपके लिए हलवा बनाया है,11 साल की बेटी​​ अपने पिता से बोली, जो कि अभी ऑफिस से घर में पहुंचे ही थे। पिता​ - वाह क्या बात है, लाकर खिलाओ फिर पापा को...!
बेटी दौड़ती हुई फिर रसोई में गई और बड़ा कटोरा भरकर हलवा लेकर आई​​।
पिता ने खाना शुरू किया और बेटी को देखा पिता की आंखों में आंसू आ गये। क्या हुआ पापा हलवा अच्छा नहीं लगा​ क्या?
पिता - नहीं मेरी बेटी बहुत अच्छा बना है, और देखते देखते पूरा कटोरा खाली कर दिया​।
इतने में माँ बाथरूम से नहाकर बाहर आई, और बोली - ला मुझे खिला अपना हलवा....
पिता ने बेटी को 50 रुपए इनाम में दिये।​ बेटी खुशी से मम्मी के लिए रसोई से हलवा लेकर आई​।
मगर ये क्या जैसे ही उसने हलवा की पहली चम्मच मुँह में डाली तो तुरंत थूक दिया।​ और बोली ये क्या बनाया है... ये कोई हलवा है​ ​इसमें चीनी नहीं नमक भरा है।
और आप इसे कैसे खा गए ये तो एकदम कड़वा है। पत्नी - मेरे बनाये खाने में तो कभी नमक कम है, कभी मिर्च तेज है, कहते रहते हो​।
और बेटी को बजाय कुछ कहने के इनाम देते हो। पिता हँसते हुए - पगली... तेरा मेरा तो जीवन भर का साथ है। रिश्ता है पति पत्नी का, जिसमे नोक झोक.. रूठना मनाना सब चलता है...मगर ये तो बेटी है कल चली जाएगी।​
आज इसे वो अहसास... वो अपनापन महसूस हुआ जो मुझे इसके जन्म के समय हुआ था।​
आज इसने बड़े प्यार से पहली बार मेरे लिए कुछ बनाया है। फिर वो जैसा भी हो मेरे लिए सबसे बेहतर और सबसे स्वादिष्ट है ये बेटियां अपने पापा की परियां और राजकुमारी होती हैं, जैसे तुम अपने पापा की परी हो।
वो रोते हुए पति के सीने से लग गई और सोच रही थी, इसीलिए हर लड़की अपने पति में अपने पापा की छवि ढूंढ़ती है।
यही सच है,​ हर बेटी अपने पिता के बड़े करीब होती है या यूँ कहें कलेजे का टुकड़ा​, इसलिए शादी में विदाई के समय सबसे ज्यादा पिता ही रोता है‌।
कई जन्मों की जुदाई के बाद बेटी का जन्म होता है,​ इसलिए तो कन्या दान करना सबसे बड़ा पूण्य होता है।

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