top of page

किसान की चतुराई

सुभाष चौधरी

एक किसान बहुत ही उम्दा किस्म का मक्का उगाता था। हर वर्ष उसकी उगाई हुई मक्का को राष्ट्रीय फसल मेला में पुरस्कृत किया जाता था।
एक साल एक रिपोर्टर उसका साक्षात्कार लेने, और यह जानने की उत्सुकता के साथ वहां आया कि वह किसान हर वर्ष ऐसा कैसे कर पाता है।
आसपास उस किसान के बारे में पूछने पर उसे पता चला कि किसान हर वर्ष अपने पड़ोसियों को अपना अच्छी किस्म का मक्का का बीज निशुल्क बांटता है।
रिपोर्टर किसान के पास गया और उससे पूछा.. ”आप अपने सभी पड़ोसियों को अच्छी किस्म का बीज निशुल्क क्यों बांटते हैं इससे तो आपका कितना खर्च हो जाता होगा।"
किसान बोला, क्या आप नहीं जानते कि हवाएँ पके हुए मक्का के पराग कणों को उड़ा कर आसपास के खेतों में फैला देती हैं। अगर मेरे पड़ोसी बेकार किस्म का मक्का बोयेंगे तो हर साल उनकी फसल से आये पराग कण मेरे खेतों में भी बिखरेंगे और क्रॉस पोलिनेशन के कारण साल दर साल मेरी फसल की गुणवत्ता गिरती चली जाएगी।
इसलिए अगर मैं अच्छी मक्का उगाना चाहता हूँ तो मुझे मेरे पड़ोसियों को भी अच्छी मक्का उगने में मदद करनी होगी।
वास्तव में हमारे जीवन की सच्चाई भी कुछ इसी प्रकार की है। अगर हम अच्छा और खुशहाल जीवन जीना चाहते हैं तो हमें हमसे जुड़े सभी लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए और उनकी सहायता करनी चाहिए।
हमारे जीवन में ख़ुशी और शांति का स्थायी वास तभी हो सकता है जब हमसे जुड़े हुए लोग भी खुश हाल हों।

*****

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Comentários


bottom of page