top of page

खामोशी दे दी..

नीलम गुप्ता


जो लोग मेरे बोलने से बहुत परेशान थे
मैने उनको तोहफ़े में ख़ामोशी दे दी
किसी बात पर अपनी राय नहीं देती
मैने चुप्पी अब अधरों पे धर ली
हां, बहुत टोकते थे
कहते थे तुम कितना बोलती हो
हर जगह ही अपना मुंह खोलती हो
हर बात पे खिखिलाती रहती हो
कभी चुप क्यों नहीं रह पाती हो
मैने भी ख़ामोशी से दोस्ती कर ली
हर बात को मानने की हामी भर ली
किसी बात पर विरोध जताती नहीं
अपनी राय किसी को बताती नहीं
उनको अब नई शिकायत हो गई
घर में इतनी उदासी क्यों है जी
क्या किसी की मौत हो गई
मैने भी ख़ामोशी से कह दिया
हां, मौत ही तो हो गई
मुस्कुराहट की खिलखिलाहट की
बेरोक, टोक बोलने की....
अपनी तरह कहने, सुनने की
एक इंसान से उसके तरह होने की
ये मौत नहीं तो फ़िर और क्या है...

*******

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page