जयकिशन गोयल
अब लोग बुढ़ापा एंजॉय करने लगे,
खुलकर जीने और हंसने लगे,
खुद को पोते पोतियों में नहीं उलझाते,
अपने जैसे दोस्तों संग ये वक्त बिताते।
कोई लाचारी बेबसी अब नहीं दिखती,
इनकी जिंदगी इनकी शर्तों पर गुज़रती,
कभी ये गाने गाते, कभी ठुमके लगाते,
अपनी कहानी सुनाते, खुलकर मुस्कुराते।
इनकी किट्टीयां होती, जन्मदिन मनाते,
अपनी पेंशन खुद पर ही ये लूटाते,
ना ताना मारते, ना बहुओं की सुनते,
अपने अधूरे सपने इस उम्र में बुनते।
फेस बुक यू ट्यूब के ये दीवाने होते,
इनके भी किस्से फंसाने होते,
इनको भी दोस्तों का इंतजार होता,
पार्क में रोज़ जमघट यार होता।
अब के बुजुर्ग समझने लगे,
जिंदगी के बचे लम्हें जीने लगे,
समझ गए साथ कुछ नहीं जाने वाला,
तो खुशनुमा लम्हें ये सहेजने लगे।
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