सविता पाटील
खुशी के वो पल,
ज़िन्दगी में…
कुछ इस तरह से दबें रहते हैं,
जैसे समंदर की गहराइओं में…
खजाने छिपे रहते हैं !
हम रहते हैं किनारों तक,
नज़रें पहुंचती हैं लहरों तक,
हो सके तो…
पंहुचों उन खज़ानों तक !
जो खामोशी से बैठे हैं इंतज़ार में,
कि, उठा लोगे इन्हें…
संजोकर रख लोगे इस सफ़र में !
जैसे शहद है फूलों में
जैसे मुस्कान है गालों में
जैसे बारिश है बादलों में
खुशी के वो पल
छिपे हैं ज़िन्दगी के इन्हीं पलों में
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