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गंगा स्नान

सुषमा यादव

मां ने एक बार कहा, मेरे सामने ही यह चला जाए तो मैं गंगा नहा लूं। गंगा मैया से विनती है इसे मेरे मरने से पहले अपने पास बुला ले। मैंने गुस्से में कहा। मां, ऐसे भी कोई अपने बेटे के लिए बोलता है। आप कैसी मां हैं। हां हां, मैं बहुत खराब मां हूं, रोते हुए बोली, पर क्या करूं। मेरे जाने के बाद इसे कौन देखेगा। तुम्हारे भाई-भाभी ने तो साफ मना कर दिया उसे रखने को। तुम्हारे बाबूजी को तो इससे कोई मतलब ही नहीं है। आखिर मैं ऐसा ना बोलूं तो क्या करूं, कम से कम मैं इसके जाने के बाद चैन से मर तो सकूंगी। वरना इसके चिंता में मेरे प्राण ही नहीं निकलेंगे।
मेरा सबसे छोटा भाई संजू मानसिक रूप से आंशिक विकलांग था। शरीर से भले ही उनतीस वर्ष का था पर लगता था चौदह पंद्रह साल का। वह पढ़ नहीं सका, पर सब बोलता था। अपना और घर का बहुत सारा काम कर लेता था। मैं और मेरी दोनों बेटियां उसे बहुत मानती थीं। वो भी हम पर जान छिड़कता था। मैंने और बेटियों ने मां को बहुत समझाया कि हम संजू को अपने पास रखेंगे। पर मां को लगा कि जब बेटा बहू ने ही मना कर दिया तब बेटियां कैसे रख सकेगी क्योंकि उन्हें तो पराए घर जाना है।
अंत में संजू के गम में पागल मां, संजू के जाने से पहले ही गंगा नहाने सच में तन मन से चली गईं और गंगा मैया ने उनकी अस्थियां अपने में समाहित कर शायद उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली।
मैंने संजू को अपने पास रखा। एक साल बाद अचानक ही मेरी दोनों बेटियां आ गईं। संजू ने डाक्टर और कुछ लोगों की उपस्थिति में एक लंबी सांस खींची और मां से मिलने चला गया। उसका हार्टफेल हो गया था। बचपन से ही उसके ह्रदय में कुछ खराबी थी।
लोग मनौती पूरी होने पर गंगा नहाने की बात करते हैं पर मां मनौती पूरी होने के पहले ही गंगा स्नान को चली गई। शायद अपने बच्चे के लिए मनौती मांगने।

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