top of page

चाँदनी रात में…

दीपशिखा


चाँदनी रात में शबनमी साथ में
प्यार की वादियों ने कहानी लिखी,
फूल हर सू खिले दिल से दिल थे मिले,
एक राजा की क़िस्मत में रानी लिखी......
भीगा भीगा हुआ मौसमों का बदन,
महकी महकी हवाओं की पायल बजी,
किसने जादू भरी छेड़ दी बाँसुरी,
मन की राधा ने तन मन की सुध बुध तजी।
पनघटों के अधर पर किसी मेघ ने
प्यास सदियों की कोई पुरानी लिखी...
नील पंकज सरोवर में कुसुमित हुए,
भोर किरणों की ले आ गई गागरी।
रात की वो ख़ुमारी जो रग रग में थी,
पी रही है अभी तक कोई बावरी।
ओस की बूंद पर प्रीत के रंग से
आप बीती सुवासित सुहानी लिखी...
साथ पी के जिये पल जो तीरथ किये,
जन्मों जन्मों की होती सफल साधना।
रस भरे भाव की माधुरी से मदिर,
नैन की ज्योति से झर रही कामना।
सिंधु की बांह में चंचला चाह ने
बहती नदिया की कल कल रवानी लिखी।

******

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page