अविरति गौतम
सालों पहले एक जंगल में गधा, लोमड़ी और शेर के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। तीनों ने एकदिन बैठकर साथ में शिकार करने के बारे में सोचा। कुछ देर बाद सबने मिलकर तय किया कि शिकार करने के बाद उसपर तीनों का बराबर हक होगा। ये फैसला लेने के बाद तीनों दोस्त शिकार के लिए जानवर की तलाश में जंगल की ओर निकल पड़े।
कुछ ही दूरी पर उन तीनों को जंगल में हिरण दिखा। एकदम तीनों ने हिरण पर झपट्टा मारने की कोशिश की। उसे देखते ही वो तेजी से दौड़ने लगा। दौड़ते-दौड़ते थककर हिरण कुछ देर के लिए रुक गया। तभी मौका देखकर शेर ने हिरण का शिकार कर दिया।
गधा, लोमड़ी और शेर तीनों काफी खुश हो गए। मरे हुए हिरण के तीन हिस्से करने के लिए शेर ने अपने दोस्त गधे को कहा। जैसा पहले तय हुआ था उसी हिसाब से गधे ने शिकार को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया। ये देखकर शेर को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वो गुस्से में जोर-जोर से दहाड़े मारने लगा। दहाड़ते-दहाड़ते शेर ने गधे पर हमला करके उसे अपने दांतों और पंजों की मदद से दो हिस्से में बांट दिया।
लोमड़ी ये सब होते हुए देख रही थी। तभी शेर ने एकदम से लोमड़ी को कहा, “चलो दोस्त अब तुम इस शिकार का अपना हिस्सा ले लो। लोमड़ी चालाक और समझदार दोनों ही थी। उसने बड़ी ही अकलमंदी के साथ हिरण के शिकार का तीन चौथाई हिस्सा शेर को दे दिया और खुद के लिए एक चौथाई हिस्सा ही बचाया।
इस तरह हुए शिकार के हिस्से से शेर काफी खुश हो गया। उसने हंसते हुए लोमड़ी से कहा, ‘अरे वाह! तुमने एकदम मेरे मन का काम किया है। तुम्हारा दिमाग काफी तेज है।’ इतना कहते ही शेर ने लोमड़ी से पूछा, ‘तुम इतनी समझदार कैसे हो? तुम्हें कैसे पता चला कि मैं क्या चाहता हूं? तुमने इतना अच्छे से शिकार का हिस्सा लगाना कहा से सीखा है?’
शेर के सवालों का जवाब देते हुए लोमड़ी बोली, ‘आप जंगल के राजा हैं और आपको कैसे हिस्सा लगाना है, ये समझना मुश्किल नहीं है। साथ ही मैंने उस गधे की हालत भी देख ली थी। उसके साथ जो कुछ भी हुआ उससे सीख लेते हुए मैंने ऐसी समझदारी दिखाई है।’
जवाब सुनकर शेर काफी खुश हुआ। उसने कहा कि तुम सच में बुद्धिमान हो।
सीख : हम सभी को अपनी ही नहीं, बल्कि दूसरों की गलतियों से भी नई बातों को सीखना चाहिए। इससे हम वही गलती करने से और उसके नकारात्मक परिणामों से बच सकते हैं।
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