top of page

चीखती आवाजें....

महेश कुमार केशरी

रागिनी को रोज की तरह दफ्तर से लौटते हुए आज फिर से देर हो गई थी। सूरज अपनी ढलान पर था, और पश्चिम दिशा में डुबकी लगाने को आतुर दिख रहा था। सर्दियों में शाम बहुत जल्दी हो जाती है। आसमाने में चाँद और तारे अपनी मौजूदगी का एहसास कराने लगे थें। ठंढ़ ने ठिठुराना शुरू भी कर दिया था। हवा का एक झोंका रागिनी के बदन में जैसे सूई चुभो गया।
"पता नहीं, आज भी ऑटो मिलेगी या नहीं।" जैसे वो अपने आप से बुदबुदायी।
तभी नरेश अंकल जो उसके पड़ोस में ही रहते थें। और बहुत ही भले आदमी थें। अपनी मोटर साईकिल रोककर बोले - "चलो रागिनी, घर चलना है ना। मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।"
रागिनी को एक बार लगा जैसे वो कह दे। हाँ अंकल चलिये, चलते हैं। लेकिन, ये कहते- कहते वो अचानक से रूक गई। जैसे उसकी जुबान लड़खड़ा रही हो। बलात्, मुस्कुराते हुए बोली- "नहीं अंकल मेरी कैब आ रही है। आप जाइये। मैं आ जाऊँगी।"
नरेश अंकल अपना सा मुँह लेकर मोटर साईकिल से आगे बढ़ गये। लेकिन, रागिनी को गहरा क्षोभ हुआ। अपने इस व्यवहार से। लेकिन वो मजबूर थी। ऐसा करने के लिये।
वो आये दिन लोगों की पीठ पीछे की बातें सुनती तो उसका कलेजा छलनी हो जाता।
एक दिन मिसेज शर्मा के मुँह से भी सुना था - "बड़ी चालू चीज है, रागिनी। कॉलोनी के कई मर्दों को फाँस रखा है। तभी तो नरेश जी, उसे लाते- जाते हैं।"
कॉलोनी के लोगों को जब भी देखती वो बातें करते-करते अचानक से रूक जाते। और उसके जाते ही जोर का ठहाका मारकर हँसने लगते।
रागिनी को ये हँसी अक्सर चुभती है। लोग जो कहना चाहते हैं सामने क्यों नहीं कहते? पीठ पीछे सब किसी ना किसी की निजी जिंदगी को किसी मर्द के साथ जोड़कर आनंद लेते हैं।
एक दिन किसी ने मिसेज चड्ढा के मुँह से सुना था - "नरेश भी कम स्याना नहीं है। नये-नये शिकार तलाशता रहता है। तभी तो, उसकी बीबी मायके में ज्यादा रहती है। नरेश इधर-उधर से ही तो काम चलाता है। रागिनी सोसाईटी का माहौल खराब कर रही है। पक्का छिनाल है छिनाल। सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। बड़ी सती-सावित्री बनती है। हु़ँह ...!"
सच, औरत की सबसे बड़ी दुश्मन औरत ही है। नींद में भी ये बातें उसका पीछा करती रहतीं हैं।
"कमबख्त बेअक्ल औरतें। बात करने के लिये इन्हें ऐसे ही गँदे टॉपिक चाहिये।"
तभी एक ऑटो वहाँ से गुजरा। रागिनी ने इशारा से ऑटो रूकवाया। फिर ऑटो वाले से पूछा- "रोहिणी चलोगे... ?"
ऑटो वाले ने हाँ में सिर हिलाया।"
वो ऑटो में सवार हो गई। लेकिन उसे जैसे कोई पीछे से आवाज दे रहा था। या कोई बार-बार कह रहा था। बहुत चालू औरत है ....रागिनी...l पक्का छिनाल है..छिनाल .... ! सौ .. चूहे खाके ...बिल्ली हज को चली..।
पता नहीं रागिनी और ऐसी काम-काजी महिलायें ऐसी आवाजें ना जाने कितनी सदियों से सुनती आ रहीं हैं। आवाज है कि पीछा ही नहीं छोडती।
*******
0 views0 comments

Recent Posts

See All

Kommentare


bottom of page