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चुटकी भर झूठ

सविता शर्मा

विनय संदीप और चिंटू एक ही स्कूल में पढ़ते थे। संदीप और चिंटू बहुत ही शैतानी करते थे और उन्हें टीचर से कक्षा में डांट भी बहुत पड़ती थी। लेकिन उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता था।
विनय दोनों से अलग था, हमेशा पढ़ने और शिक्षकों का कहना मानने वाला विद्यार्थी था। विनय हमेशा सोचता था कि इनके माता-पिता इन्हें कुछ नहीं बोलते मेरी मम्मी तो मुझे बहुत डांटती है। कुछ भी गलत करने से इन्हें अपनी मम्मी-पापा का भी डर नहीं लगता। एक दिन तीनों एक साथ ही स्कूल आ रहे थे। संदीप की मस्ती करने की वजह से देर हो गई स्कूल का दरवाजा बंद हो गया था। दोनों ने विनय से कहा चलो आज खूब खेलेंगे स्कूल खत्म होने के समय घर चले जाएंगे।
विनय ने कहा नहीं मुझे मेरी मम्मी से झूठ नहीं बोलना मैं घर जाऊंगा। संदीप ने कहा अरे पता कैसे चलेगा हम पूरा दिन खेलेंगे और स्कूल छूटने के समय घर पहुंच जाएंगे। भूख लगेगी तो टिफिन तो है, हमारे पास। विनय भी उनकी बातों में आ गया शाम तक तीनों खेलते रहे फिर स्कूल छूटने के टाइम घर पहुंचे। मम्मी ने कहा चलो हाथ पैर धो लो खाना खा लो विनय।
विनय ने कहा मुझे भूख नहीं है। वह थक गया था जल्दी से सो गया। सुबह मम्मी ने पूछा बेटा आप कल इतने थक गए थे। तुम्हारी तबीयत ठीक है ना या और कोई बात है। विनय ने कहा नहीं कुछ नहीं ऐसे ही। मम्मी ने कहा कल तुम्हारे स्कूल जाना है बहुत दिनों से स्कूल गई नहीं हूं, इतना सुनकर विनय डर गया।
उसको लगा अब तो मम्मी जाएगी स्कूल तो पता चल जाएगा कि मैं कल स्कूल नहीं गया था। विनय ने कहा मम्मी मुझे आपको एक बात कहनी है। मैंने आपसे एक छोटा सा झूठ कहा कल मैं स्कूल नहीं गया था, देर हो गई थी। दोस्तों के साथ खेल रहा था। मम्मी ने कहा बेटा चुटकी भर झूठ कब बड़ा रूप ले लेता है पता नहीं। यह तो शुरुआत है आज से आप कुछ नहीं छुपाओगे मम्मी से पापा से। मम्मी मुझे माफ कर दो। मम्मी ने कहा पहली और आखरी गलती समझना आगे से ऐसा बिल्कुल नहीं ठीक है। हां मम्मी मैं आज से कभी झूठ नहीं बोलूंगा और वह स्कूल की ओर चल पड़ा।

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