top of page

जज़्बात

विनीता तिवारी


चुरा हर चीज़ ग़ैरों की वो अक्सर बात करते हैं।
कि ये तेरा मेरा इंसान को बर्बाद करते हैं।
मुहब्बत ज़िंदगी में ग़र मिले सच्ची तो बेह्तर है।
वरना लोग बस मतलब से आँखें चार करते हैं।
उठा के लाश काँधों पर वो अपनी जी रहा कब से
कहाँ हैं वो, जो जीने का ये ढंग निर्यात करते हैं।
कराते मंदिर-ओ-मस्जिद को लेकर आपसी झगड़े
ख़ुदा और राम को ये लोग ही बदनाम करते हैं।
बड़े झाँसे, बड़े वादे वही कर पाते हैं सबसे
जो कुछ करके दिखाने में नहीं विश्वास करते हैं।
न जाने कौनसी शालीन दुनिया में रहे हो तुम
यहाँ तो हर कदम पर लोग बस कुहराम करते हैं।

*****

0 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


bottom of page