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जाको राखे साइयां

डॉ ममता

बहुत सालों पहले की बात है। मैं आई. सी. सी. यू. में जूनियर डॉक्टर की पोस्ट पर काम किया करती थी।
अकसर शाम की ड्यूटी के खत्म होने से पहले मैं अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए मरीजों को देखने जाया करती थी।
उस दिन जब मैं मेडिकल आईसीयू में गई तो एक सीनियर डॉक्टर मरीज़ की खराब हालत के बारे में बता रहे थे।
मरीज़ यही कोई ९० साल के आस पास की बुज़ुर्ग महिला थी। मैंने उन्हें देखा तो उनकी सांसें अच्छी नहीं चल रही थी।
रिश्तेदारों के जाने के बाद मैंने सर से पूछा कि इन्हें वेंटीलेटर पर क्यों नही ले रहे।
सर ने बताया कि अम्मा जी के घरवाले उन्हें कष्ट नहीं देना चाहते। इसीलिए वो अब उन्हें घर ले जाना चाहते है। बस अंतिम समय का इंतजार कर रहे है। रिश्तेदार के मर्जी के बिना हम वेंटीलेटर नही लगा सकते। हम जो कुछ कर सकते है सब कर ही रहे है। अम्मा जी को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा हुआ था।
वैसे सही भी है, ९० साल की उम्र में शरीर कितना ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसा डिसीजन लेना किसी भी बेटे लिए कठिन ही होगा। अम्मा जी की खून की सारी जांचे नॉर्मल थी।
मैंने सर से निवेदन किया, सर प्लीज मुझे इन्हें इंटुवेट करने दीजिए। प्लीज सर.. एक बार फिर से रिश्तेदार से बात कीजिए। सर बहुत अच्छे थे। उन्होंने तुरंत रिश्तेदार से बात की कि आप रात में तो नही ले जायेंगे, इन्हें रात में वेंटीलेटर सपोर्ट पर रख देते है। वैसे किसी को भी उनके बचने की उम्मीद नहीं थी।
अम्मा के बेटे बहुत अच्छे थे, उन्होंने सर से बोला जैसी आपकी इच्छा डॉक्टर साहब।
मैंने अम्मा जी को सांस की नली डाल दी और थोड़ी देर अच्छे से ऑक्सीजन देकर वेंटीलेटर लगा दिया।
मैं उस दिन बहुत देर से घर पहुंची थी। मेरी मम्मीजी कभी डांटती नही थी बस इतना जरूर बोल देती थी कि ज्यादा रात होने पर एंबुलेंस से आया कर। स्कूटी लेकर मत उड़ा कर।
अगले दिन मैं नाइट ड्यूटी पर गई, तो अम्मा जी को सहारा लेकर बिठा रखा था। उनके पोते चम्मच से जूस पिलाने की कोशिश कर रहे थे।
एक बार को तो मुझे यकीन ही नही हुआ। यह कैसे हो सकता है। सर भी उस समय राउंड पर ही थे। मैं सर की तरफ मुस्कुराई और इशारों में पूछा ..क्या यह वोही है, सच में?"
सर ने मुझे अम्मा जी से मिलवाया और बोले इन्हीं की वजह से अब सेंचुरी लगाने वाली हो आप। सब हंसने लगे।
सच में कई बार हमें भी यकीन नही होता और कुछ ऐसा हो जाता है जो विश्वास दिलाता है कि एक शक्ति है जो सबसे ऊपर है और उसी के हाथ में हम सबकी डोर है।

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