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जीवन का एहसास

एक जंगल में कैसोवैरी जाति की एक चिड़िया रहती थी। यह चिड़िया उड़ सकने में असमर्थ थी। कैसोवैरी चिड़िया को बचपन से ही बाकी चिड़ियों के बच्चे चिढ़ाते थे। कोई कहता, “जब तुम्हें उड़ना नहीं आता तो कुछ नहीं आता, तुम चिड़िया किस काम की।”तो कोई उसे ऊपर पेड़ की डाल पर बैठ कर चिढ़ाता कि, “अरे कभी हमारे पास भी पेड़ पर आ जाया करो। जब देखो जानवरों की तरह नीचे ही चरती रहती हो।” और ऐसा बोल-बोल कर सब के सब खूब हँसते।
कैसोवैरी चिड़िया शुरुआत में तो इन बातों का बुरा नहीं मानती थी लेकिन किसी भी चीज की एक सीमा होती है।
बार-बार चिढ़ाये जाने से वह बहुत दुखी हो गई। वह उदास बैठ गयी और आसमान की तरफ निहारते हुए बोली, “हे ईश्वर, तुमने मुझे चिड़िया क्यों बनाया। जब मुझे उड़ने की काबिलियत नहीं देनी थी। देखो सब मुझे कितना चिढ़ाते हैं। अब मैं यहाँ एक पल भी नहीं रह सकती, मैं इस जंगल को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ कर चली जा रही हूँ।” और ऐसा कहते हुए कैसोवैरी चिड़िया जंगल को छोड़कर उड़ने लगी।
अभी उसने कुछ दूरी ही तय की थी कि पीछे से एक भारी-भरकम आवाज़ आई, “रुको कैसोवैरी, तुम कहाँ जा रही हो, बहन।”
कैसोवैरी आश्चर्यचकित रह गई और उसने पीछे मुड़ कर देखा, वहां खड़ा जामुन का पेड़ उससे कुछ कह रहा था।
“कृपया तुम जंगल छोड़कर मत जाओ। हमें तुम्हारी बहुत ज़रुरत है। पूरे जंगल में तुम ही हो जिसकी वजह से हम सबसे अधिक फल-फूल रहे हैं। वो तुम ही हो जो अपनी मजबूत चोंच से फलों को अन्दर तक खाती हो और हमारे बीजों को पूरे जंगल में बिखेरती हो। ऐसा संभव है कि बाकी चिड़ियों के लिए तुम मायने ना रखती हो लेकिन हम पेड़ों के लिए तुमसे बढ़कर सहायक कोई दूसरी चिड़िया नहीं सकती, तुम मत जाओ। तुम्हारी जगह कोई और नहीं ले सकता।”
जामुन के पेड़ की बात सुन कर कैसोवैरी चिड़िया को जीवन में पहली बार एहसास हुआ कि उसकी भी इस धरती में किसी को आवश्यकता है वह इस धरती पर बेकार नहीं है, भगवान् ने उसे एक बेहद ज़रूरी काम के लिए भेजा है और सिर्फ न उड़ पाने का गुण बाकी चिड़ियों से उसे छोटा नहीं बनाता।
आज एक बार फिर कैसोवैरी चिड़िया बहुत खुश थी, वह ख़ुशी-ख़ुशी अपना दर्द भूलकर जंगल में वापस लौट गयी।
सार - हर किसी के अन्दर कोई न कोई ऐसा गुण होता है जो उसे औरों से अलग करता है। हताशा मत पालिए और उसके लिए कार्य कीजिए जिसको आपकी जरूरत है।
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