सुमन मोहिनी
वो वफ़ा करें या जफ़ा करें सब क़बूल
सजदे में उनके हमने सर को झुकाया है।
इस दिल की बेक़रारी क्या समझेगा वो
जिसके लिए होशो हवास अपना गवाया है।
ये दिल भी तो देखो कितना धोखेबाज़ है
कहीं और जाकर इसने आशियां बसाया है।
दिल और दिमाग़ की इस जद्दो ज़हद में
आख़िर तो दिल का ही परचम लहराया है।
ए ख़ुदा दुआ इस दिल की क़बूल कर ले
उनके दरस को क्यों इतना तड़पाया है।
दिल से दिल को राह तो है ये माना हमने
फिर सदा वो मेरे दिल की सुन क्यों ना पाया है।
दिल की तमन्ना कहीं दिल ही में ना रह जाए
उनसे एक बार मुलाक़ात का मन बनाया है।
इस दिल की हालत अब कौन समझेगा ‘सुमन’
सबने ही तो कर दिया हमको पराया है।
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