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दीवाना

दिनेश दुबे

अभिषेक एक सुंदर नौजवान लड़का है। आज ऑफिस आते समय लॉबी में उसे एक सुंदर लड़की दिखाई देती है। वह देखते ही उसका दीवाना हो जाता है।
वह उसे देखने के लिए रुकता है, तब तक उसे ऑफिस बॉय आवाज़ देता है, "सर गुड मॉर्निंग!
वह मुड़कर उसे देखता है और कहता है,"गुड मार्निंग मोहन, सब ठीक है!
उसने हां में सर हिला दिया। अभिषेक पलट कर देखता है, तब तक वो गायब हो जाती है। अभिषेक का मूड ऑफ होता है, पर वह किसको दोष दे। अब बॉस को देखकर गुड मॉर्निंग ना बोले तो भी बुरा और उसको जवाब नही दे वो भी अच्छा नहीं होता है। वह खुद को कोसते हुए लिफ्ट में जाता है। वह जाकर अपने केबिन में बैठकर कंप्यूटर ऑन करता है।
उसी समय उसके बॉस का फोन आता है। वह अपने केबिन में बुलाता है। उसकी यह सॉफ्टवेयर की कंपनी है। यह कई बड़ी कंपनी को सर्विस देते हैं। उसके बॉस सुंदर साहू ने बहुत ही मेहनत से इस कंपनी को आगे बढ़ाया है।
वह केबिन में इंटर करता है तो बॉस के सामने उसी लड़की को बैठी देखता है, तो जैसे उसके दिल में फ्रिज खुल जाता है। वह बॉस के सामने कुछ रिएक्ट नही कर पता है और चुप चाप खड़ा हो जाता है।
सुंदर उसे देख कहता है, "अभिषेक ये है मेरी बेटी निकिता कल ही देहरादून से आई है, वहां दून कॉलेज में पढ़ती थी। मैंने कभी तुम लोगों से ये बात शेयर नही की, पर अब ये यही रहेगी, और हमारी कंपनी को सम्हालेगी। मैं चाहता हूं कुछ दिन ये मुंबई शहर घूम ले ताकि कहीं भी आने जाने में प्रोब्लम ना हो, तो मैने सोचा इसे घुमाने का काम तुम करो।
अंधा क्या मांगे दो आंखे, यहां तो बिन मांगे सब कुछ मिल गया। वह खुश होकर कहता है “इट्स माय प्लेजर सर, आप जब चाहें मैं हाज़िर हूं।”
सुंदर अपनी बेटी निकिता से अभिषेक का इंट्रो करवाता है।
अभिषेक को रात भर नींद नहीं आती है।
वह तो निकिता की याद में खोया रहता है।
सुबह एक घंटे पहले ही उसके घर के नीचे आकर खड़ा हो जाता है। थोड़ी देर में वह भी नीचे आ जाती है। वह उसे खड़े देख खुश होकर गुड मॉर्निग बोलती है, तो वह भी खुश होकर गुड मॉर्निंग बोलता है। ड्राइवर गाड़ी लाता है दोनों कार में बैठते हैं, और शहर घूमने निकल पड़ते हैं। अभिषेक को बिन मांगी मुराद मिल गई।
तीन दिन में पूरे मुबई घूमने के बाद चौथे दिन वह ऑफिस आता है तो सुंदर बहुत ही खुश होकर मिलता है, और कहता है "निकिता तुम्हारी बहुत तारीफ़ कर रही थी, she is very happy!”
अभिषेक की निगाहे निकिता को ढूंढ रही थी। तीन दिनों में वह उसके दिल में बुरी तरह से बस गई थी। वह तीन दिन सिर्फ उसको निहारता ही रहा है। एक बार तो उसने हंस कर कह भी दिया, इतना मत देखो नजर लग जायेगी, और जोर से हंस दी। इस पर तो वह डर गया, कि अगर बॉस को कंप्लेंट कर दी तो क्या होगा। पर उसने कुछ कहा नहीं। आज वह अभी तक आई नही थी। वह सुंदर के पास एक फाइल ले कर जाता है और फाइल साइन कराते हुए उनसे निकिता के बारे में पूछता है। वह कहते हैं, "वह बॉम्बे हॉस्पिटल गई है।”
अभिषेक चौक कर पूछता है, "सॉरी सर,! हॉस्पिटल क्यों?
सुंदर उसे देखता है और अपने चेयर से उठता है और अभिषेक से कहता है, "उसकी दोनों किडनी फेल हो चुकी हैं, और वह अपना रूटीन चेकअप के लिए गई है।”
अभिषेक चौकता है उसके तो दिल पर तो जैसे हथौड़े चलने लगता है उसके सपने चूर चूर होने लगे।
वह सुंदर से कहता है "उसे प्रोब्लम है तो अकेले क्यों गई आप साथ चले गए होते।"
वह कहते हैं, "निकिता किसी को परेशान नही करना चाहती है, उसने तो मुझे भी मना किया है। वह नही चाहती है कि उसके वजह से किसी को परेशानी हो।
अभिषेक बहुत दुखी होता है। जिंदगी में पहली बार किसी लड़की पर दिल भी आया तो वह भी ऐसी निकली। उसकी जिंदगी भी ऐसे ही है, पिता तो बचपन में ही चले गए थे। उसकी मां अभी 6 महीने पहले ही उसे अकेला छोड़ कर चली गई थी। बड़ी मुश्किल से अपने आप को सम्हाल पाया था। उसे अपनी किस्मत से चिढ़ सी होने लगी थी, वह अपने काम में व्यस्त हो जाता है।
दोपहर के बाद निकिता ऑफिस में आती है तो अभिषेक बहुत खुश होता है। वह उसके पास जाकर कहता है। "हैलो निकिता जी, हाउ आर यू!”
निकिता मुस्कराकर कहती है, "मस्त हूं, और अपनी सुनाओ?
अभिषेक भी कहता है, "मैं तो एकदम बढ़िया हूं।”
तभी सुंदर बाहर निकल कर आता है, और निकिता से पूछता है। "कब आई बेटी, आओ अंदर बैठ जाओ।”
वह अभिषेक को भी आने के लिए कहता है, तीनो केबिन में बैठते है, सुंदर निकिता से पूछता है, "क्या हुआ, डॉक्टर ने क्या कहा।"
वह कहती है, "पापा डॉक्टर ने कहा या तो किडनी बदल दो या फिर कुछ दिनों की मेहमान हो, अब कुछ नही हो सकता पापा। "
अभिषेक कहता है "सर किडनी तो कोई भी दे सकता है।"
सुंदर कहता है "उसे तो ब्लड कैंसर है तो वह दे नही सकता। इसकी मां तो है नही, अब कौन देगा और सबसे बड़ी बात ये है कि मेरे पास पैसे भी नहीं हैं। या तो मैं अपना घर बेचू, अब कुछ नही होगा तो घर बेचना ही होगा। तुम तो जानते ही हो यहां बिजनेस का क्या हाल है। सबकी सैलरी देने भर का ही काम हो पा रहा है। नाम बड़े और दर्शन छोटे हैं। दिखाने के और खाने के दांत अलग अलग है।”
अभिषेक पूरी रात करवट बदलता रहा, उसे नींद ही नहीं आ रही थी। बार-बार निकिता का प्यारा चेहरा उसकी नजरों के आगे घूम रहा था।
सुबह ऑफिस जाने पर वह सुंदर के केबिन में जाता है। सुंदर उसे देख चौकता है। वह कहता है, "सॉरी सर, मैने डिस्टर्ब किया बट मुझे कुछ अर्जेंट बात करनी है।"
सुंदर उसे देखता है, और कहता है "अरे, इसमें सॉरी की क्या बात है, बोलो क्या हुआ?”
वह कहता है "सर मैने सोचा है कि निकिता को एक किडनी मैं दे दूं, और आपको घर बेचने की जरूरत नहीं है। मेरे मॉम का इंश्योरेंस पॉलिसी का पैसा करीब 40 लाख मेरे पास है, सब मैनेज हो जायेगा।"
सुंदर कहते हैं, "अरे नही, वो मेरा हेडक है, तुम परेशान मत हो।"
अभिषेक कहता है, "सर आप बुरा मत मानिए, मैंने जब पहले दिन निकिता को देखा तो मुझे उस से प्यार हो गया, और मैं उसे हर हाल में अपनाना चाहता हूं। प्लीज मुझे निराश मत करिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़ी तो दे दुंगा।"
सुंदर मुस्कुराता है और कहता है "चार दिनों में इतने बड़े दीवाने हो गए कि अपना सब कुछ देने को तैयार हो गए।”
वह कहता है "सर प्यार तो एक पल में होता है, अब हो गया तो हो गया।”
सुंदर कहता है "एक बार सोच लो, सारी जिंदगी की बात है।”
वह कहता है "सर उसके बिना तो वैसे भी जिंदगी बेकार ही होगी तो हम दोनों एक एक किडनी से जितने दिन जिएंगे अच्छे से जिएंगे।"
सुंदर मुस्कुराता है और कहता है "ठीक है सुबह घर आ जाना हम हॉस्पिटल चल कर चेक अप करवा लेंगे।”
दूसरे दिन सुबह अभिषेक, सुंदर के घर का बेल बजाता है। सुंदर डोर खोलता है, उसे देख मुस्कराकर अंदर आने को कहता है। वह अंदर आता है, घर बहुत ही सुंदर तरीके से सजा है। सुंदर उसे बैठने को कहता है। थोड़ी देर में निकिता सज धज कर बाहर आती है। वह बहुत ही सुंदर लग रही थी। अभिषेक के दिल की धड़कन तेज होती है, वह उसे देख मुस्कराई और उसे हग करती है।
सुंदर अभिषेक से कहता है, "अभिषेक निकिता तुम्हारे साथ एक वीक और घूमना चाहती है।"
अभिषेक चौकता है, और कहता है, "आज चेक अप कर लेते है फिर ले जाऊंगा घूमने।"
सुंदर कहता है, "अभिषेक तुम्हारी मां मरने से पहले मेरे पास आकर बोली थी कि मेरे बाद इसका कोई नही है। तुम इसका ख्याल रखना, तभी से मैं तुम पर नजर रखे था। फिर मुझे अपनी बेटी के लिए लड़का ढूढना था तो उसने कहा वो अपने तरीके से लड़के को चेक करेगी। मैंने तुम्हारे बारे में बताया क्योंकि तुम्हारी भी जिम्मेदारी निभानी थी, तो तुम निकिता के एग्जाम में पास हो गए, और तुम्हारी किडनी और पैसे दोनो बच गए और तुम कंपनी के मालिक भी बन गए।”
अभिषेक को इतनी खुशियां एक साथ बर्दास्त नही होती है उसकी आंखो में आंसू आते है, निकिता उसे गले लगाती है, सुंदर भी उसे गले लगाता है।

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