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ध्वज के रंग

डॉ. कृष्णा कांत श्रीवास्तव

एक दिन कक्षा में गुरुजी ने बच्चों से पूछा- "बच्चों, बताओ तो भारत के राष्ट्रीय ध्वज में कितने रंग होते है?"
"तीन" सारे बच्चों के स्वर कक्षा में एक साथ गूंजा। शोर थमने के बाद एक सहमा-सा बच्चा धीरे-धीरे खड़ा होकर विनम्र स्वर में बोला....." जी नहीं गुरुजी, पांच "
सारे बच्चे यह सुन कर जोर-जोर से हँसने लगे। गुरुजी अपने गुस्से को दबाने की कोशिश करते हुए बोले, "चलिए, आप ही सबको बता दीजिए कौन-कौन से पाँच रंग है हमारे तिरंगे में?"
तिरंगे के नाम सुनने के बाद भी बच्चा धीरे-धीरे बोलने लगा- "सबसे ऊपर केसरिया, उसके नीचे सफेद, सबसे नीचे हरा और बीच में एक चक्र जिसका रंग नीला है।"
गुरुजी ने अपने हाथ दायें-बायें हिलाते हुए हल्के से ऊंची आवाज में पूछा- "फिर भी तो चार ही हुआ। ये पांचवां रंग कौन सा है....बताओ?"
मासूम बच्चे ने आंख झुकाए सरलता से उत्तर दिया- "वो है पूरे ध्वज में फैला हुआ लाल-लाल रक्त का धब्बा, मुझे याद है गुरुजी, जब मैंने अपने पिताजी को अंतिम बार देखा था, जब वो आतंकवादियों के साथ एक मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे।"
घर के आंगन में एक ताबूत के अंदर पिताजी एक वैसे ही ध्वज को ओढ़ कर सोये हुए थे...चिरनिद्रा में, हमेशा के लिए औऱ मेरी माँ के साथ पूरे परिवार की आँखें बेहद नम थीं।"
कक्षा का शोर अचानक थम सा गया। पल भर में सन्नाटा पसर गया।
गुरुजी का गुस्सा अचानक गायब हो चुका था। उनका गला भर आया था। वे कुछ बोल नहीं पा रहे थे।
सिर्फ हाथ के इशारे से सबको शाँत बैठने को कह कर अपना सिर झुकाए कक्षा के बाहर निकल आए और भीगी आँखों से आसमान के तरफ़ देखते हुए सोंचने लगे- "तिरंगे में लगे हमारे शहीद हुए वीर जवानों के खून के उन लाल धब्बों को हम कैसे भूल सकते है भला?
नमन हर उस वीर जवान को जो मातृभूमि के लिए अपना सबकुछ छोड़ देता है। अपना पूरा जीवन न्योछावर कर देता है....देश के लिए।
जय हिन्द जय भारत।

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