रीटा मक्कड़
वैसे भाभी तुमने बहु को ज्यादा ही सर पर चढ़ा रखा है। नीता ने अपनी भाभी से बोला। अभी से उसको काम करने की आदत नही डालोगी तो अकेले ही हर दम किचन में खटती रहोगी।
आज नीता को अपने भाई के घर की तरफ कुछ बाजार के काम थे तो सोचा पहले भाई-भाभी से मिलती चलूं। फिर मार्किट जाऊंगी भाई तो अपने काम पे जा चुके थे। भाभी भाई को नाश्ता करवाने के बाद दोपहर के खाने की तैयारी में जुटी थी।
“बच्चे कहाँ हैं?” नीता ने पूछा।
भाभी बोली, “बेटी तो कॉलेज गयी। बहु बेटा सो रहे हैं।”
“वैसे भाभी बहु को अभी से आदत डालोगी, तो सुखी रहोगी। थोड़ा जल्दी उठ कर तुम्हारे साथ काम मे मदद करे” नीता ने कहा।
भाभी ने कहा, “नीता दीदी, जब मैंने आज तक अपनी बेटी या बेटे को बिना वजह काम के लिए डिस्टर्ब नही किया तो वो भी तो मेरे बच्चों जैसी ही है। अभी नई-नई शादी है। बच्चे घूम फिर कर थके होते हैं। यही सोचूंगी कि मेरे दो नही तीन बच्चे हैं। पहले जहां दो बच्चों के लिए सब काम करती थी अब तीन का कर लुंगी। फर्क कितना पड़ेगा 2 फुलके ही तो ज्यादा बनेंगे ना। बाकी सब काम तो जैसे पहले होता था वैसे ही होना है। अब बेचारी बच्ची की नींद क्यों खराब करूँ। धीरे-धीरे अपने आप संभालने लगेगी।
आगे से नीता के पास भाभी की बात का कोई जवाब नही था।
और भाभी की इसी सोच ने उनके परिवार की सुख शांति और प्यार को हमेशा ही बनाये रखा और बच्चो से उन्हें बदले में कई गुणा प्यार और इज्जत मिली।
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