"भैया, परसों नये मकान पर हवन है। छुट्टी (इतवार) का दिन है। आप सभी को आना है, मैं गाड़ी भेज दूँगा।" छोटे भाई लक्ष्मण ने बड़े भाई भरत से मोबाईल पर बात करते हुए कहा।
"क्या छोटे, किराये के किसी दूसरे मकान में शिफ्ट हो रहे हो?"
"नहीं भैया, ये अपना मकान है, किराये का नहीं।" “अपना मकान”, भरपूर आश्चर्य के साथ भरत के मुँह से निकला। "छोटे तूने बताया भी नहीं कि तूने अपना मकान ले लिया है।" "बस भैया", कहते हुए लक्ष्मण ने फोन काट दिया। "अपना मकान", "बस भैया" ये शब्द भरत के दिमाग़ में हथौड़े की तरह बज रहे थे।
भरत और लक्ष्मण दो सगे भाई और उन दोनों में उम्र का अंतर था करीब पन्द्रह साल। लक्ष्मण जब करीब सात साल का था तभी उनके माँ-बाप की एक दुर्घटना में मौत हो गयी। अब लक्ष्मण के पालन-पोषण की सारी जिम्मेदारी भरत पर थी। इस चक्कर में उसने जल्द ही शादी कर ली कि जिससे लक्ष्मण की देख-रेख ठीक से हो जाये।