दर्शना जैन
बैंक के लंच टाइम में अमर, रमन और नवल खाना खाते हुए एक दूसरे को बता रहे थे कि वे अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने हेतु क्या कदम उठा रहे हैं। अमर बोला," मैंने बच्चों के बैंक खातों में काफी पैसे जमा कर रखे हैं जिससे वे अपनी सारी इच्छाएँ व जरूरतें पूरी कर सकें।"
` रमन ने बताया," यह तो मैंने भी किया है लेकिन इसके साथ मैंने कुछ बीमा योजनाओं में भी निवेश किया है, उनकी ब्याज दर ज्यादा होने से इसका लाभ भविष्य में बच्चों को निश्चिंतता देगा।"
नवल ने भी ऐसा ही कुछ कर रखा था। उसे अपने कर्मचारियों का विचार आया, वह बोला, "हमारा तो ठीक है परंतु मासिक पंद्रह से बीच लाख कमाने वाले हमारे कर्मचारियों के पास घर खर्च के पैसे निकालने के बाद कितनी रकम बचती होगी, उसमें वे क्या निवेश कर पायेंगे?"
पानी देने आया वह कर्मचारी बोला," सर, मैं आपके जितने पैसे तो नहीं निवेश नहीं कर सकता परंतु मैं अपने बच्चों संग समय जरूर निवेश करता हूँ, जितना उन्हें चाहिये उतना करता हूँ। यही उनकी इच्छा भी रहती है और जरूरत भी है। जब भी वे तकलीफ में आये, दुखी हुए, परेशानी से गुजरे मैंने उनको यह निश्चिंतता दी कि मैं हूँ ना तुम्हारे साथ, चिंता क्यों करते हो?" उस कर्मचारी के कंधे पर हाथ रख नवल बोला - यार, तुम जो निवेश करते हो, वह तो शायद हमने कभी किया ही नहीं।
अपने परिवार के लिए धन के साथ-साथ समय का भी निवेश कीजिए।
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