अंकिता मिश्रा
एक पहाड़ी के नीचे रामगढ़ नाम का एक गांव था। गांव के सारे जानवर हरी घास खाने के लिए सुबह उसी पहाड़ी के ऊपर बसे जंगल में जाते और शाम होते-होते घर वापस आ जाते थे।
हर दिन की तरह लक्ष्मी नाम की एक गाय अन्य गायों के साथ उसी पहाड़ी के जंगल में घास खाने के लिए गई थी। वह हरी घास खाने में इतनी ज़्यादा प्रसन्न थी कि वह कब एक शेर की गुफ़ा के पास पहुंच गई, उसे पता भी नहीं चला।
शेर अपनी गुफ़ा में सो रहा था और वह पिछले दो दिनों से भूखा भी था। जैसे ही लक्ष्मी शेर की गुफ़ा के पास पहुँची, गाय की खुशबू से शेर की नींद खुल गयी।
वह शेर धीरे-धीरे गुफ़ा से बाहर आया और गुफ़ा के बाहर गाय देखकर खुश हो गया। शेर ने मन ही मन सोचा कि आज उसकी दो दिनों की भूख मिट जाएगी। वह इस तंदुरुस्त गाय का ताज़ा मांस खाएगा और यह सोचकर उसने एक तेज़ दहाड़ लगायी।
लक्ष्मी शेर की दहाड़ सुनकर डर जाती है। जब वह अपने आस-पास देखती है, तो वहां दूर-दूर तक उसको कोई भी दूसरी गायें नहीं दिखीं।
जब वह हिम्मत करके पीछे मुड़ी, तो उसे सामने शेर खड़ा हुआ दिखाई दिया। उस शेर ने लक्ष्मी को देखकर फिर से दहाड़ लगायी है और लक्ष्मी से कहा, “मुझे दो दिनों से कोई शिकार नहीं मिल रहा था, मैं भूखा था। शायद इसलिए भगवान ने मेरा पेट भरने के लिए तुझे मेरे यहां पर भेजा है। आज मैं तुझे खाकर अपनी भूख मिटा लूंगा।”
शेर की बात सुनकर लक्ष्मी डर जाती है। वह रोते हुए शेर से कहती है “मुझे जाने दो, मुझे मत खाओ। मेरा एक छोटा बच्चा है, जो अभी सिर्फ मेरा ही दूध पीता है और उसे घास खाना अभी तक नहीं आया है।”
लक्ष्मी की बात सुनकर शेर हंसते हुए कहता है, “तो क्या मैं अपने हाथ में आए शिकार को ऐसे ही जाने दूं? मैं तो आज तुझे खाकर अपनी दो दिनों की भूख मिटाऊंगा।”
शेर के ऐसा कहने पर लक्ष्मी उसके सामने रोने लगी और विनती करते हुए कहती है कि “आज मुझे जाने दो। मैं आज अपने बछड़े को आखिरी बार दूध पिला दूंगी और उसे बहुत सारा प्यारा करके, कल सुबह होते ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी। फिर तुम मुझे खा लेना और अपना भूखा पेट भर लेना।”
शेर लक्ष्मी की यह बात मान जाता है और धमकी देते हुए कहता है कि, “अगर कल तू नहीं आई, तो मैं तेरे गांव आऊंगा, फिर तुझे और तेरे बेटे दोनों को खा जाऊंगा।”
लक्ष्मी शेर की यह बात सुनकर खुश हो जाती है और शेर को अपना वचन देकर गांव वापस चली जाती है। वहां से वह सीधे अपने बछड़े के पास जाती है। उसे दूध पिलाती है और बहुत सारा प्यार करती है। फिर बछड़े को शेर के साथ हुई सारी घटना बताती है और कहती है कि उसे अब अपना ख़्याल ख़ुद ही रखना होगा। वह कल सुबह होते ही अपना वचन पूरा करने के लिए शेर के पास चली जाएगी।
अपनी मां की बातें सुनकर बछड़ा रोने लगता है। दूसरे दिन सुबह होते ही लक्ष्मी जंगल की तरफ निकल जाती है और शेर की गुफ़ा के सामने पहुंचकर शेर से कहती है, “अपने वचन के अनुसार मैं तुम्हारे पास आ गई हूँ। अब तुम मुझे खा सकते हो।”
गाय की आवाज़ सुनकर शेर अपनी गुफ़ा से बाहर निकलकर आता है और भगवान के अवतार में प्रकट होता है। वह लक्ष्मी से कहते हैं, “मैं तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रहा था। तुम अपने वचन की पक्की हो। मैं इससे बहुत प्रसन्न हुआ। तुम अब अपने घर और बछड़े के पास वापस जा सकती हो।”
इसके बाद वे उस गाय को गौ माता होने का वरदान भी देते हैं और उसी दिन के बाद से सभी गायों को गौ माता कहा जाता है।
सीख : हमें जान की बाज़ी लगाते हुए भी अपने दिए हुए वचन को पूरा करना चाहिए। यही हमारे दृढ़ व्यक्तित्व को दर्शाता है।
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